आरोग्यता के लिए आधुनिक और प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों का समावेश अत्यंत आवश्यक: आर्लेकर

एक राष्ट्र एक स्वास्थ्य तंत्र’ विषय पर आयोजित परिसंवाद में राज्यपाल ने की अपील

शिमला। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि देश के सभी नागरिकों की आरोग्यता सुनिश्चित करने तथा उन्हें बेहतरीन चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए आधुनिक चिकित्सा पद्धति के साथ-साथ भारत के आयुर्वेद, योग और अन्य प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों का समावेश किया जाना चाहिए। अलग-अलग चिकित्सा पद्धतियों में कार्य कर रहे चिकित्सकों और वैज्ञानिकों को आपसी समन्वय के साथ कार्य करना चाहिए तथा एक-दूसरे की चिकित्सा पद्धति को पूरा सम्मान देना चाहिए। राज्यपाल आज राजभवन में आरोग्य भारती की हिमाचल प्रदेश इकाई द्वारा ‘एक राष्ट्र एक स्वास्थ्य तंत्र’ विषय पर आयोजित एक परिसंवाद में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
राज्यपाल ने कहा कि दुर्भाग्यवश हमने आधुनिक चिकित्सा पद्धति को अपनाते समय योग और आयुर्वेद जैसी प्राचीन पद्धतियों को भुला दिया। उन्होंने कहा कि यह एक बहुत बड़ी विडंबना है कि हजारों वर्षों से चली आ रही इन पारंपरिक एवं प्रभावी चिकित्सा पद्धतियोें को हम केवल एक वैकल्पिक पद्धति के रूप में देखने लगे। लेकिन, अब इन्हें प्रोत्साहित करने तथा आधुनिक चिकित्सा के साथ इनके समावेश की दिशा में सराहनीय कार्य हो रहा है। राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि आज के दौर में चिकित्सा सेवाओं में ‘पैथी सेंट्रिक’ के बजाय ‘पेशेंट सेंट्रिक’ यानि रोगी केंद्रित दृष्टिकोण रखना चाहिए। इससे लोगों को बेहतरीन एवं प्रभावी चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध होंगी। उन्होंने कहा कि विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के आपसी समन्वय और समग्र स्वास्थ्य की दिशा में आरोग्य भारती संस्था बहुत ही सराहनीय कार्य कर रही है। राज्यपाल ने कहा कि ‘एक राष्ट्र एक स्वास्थ्य तंत्र’ विषय पर परिसंवाद जैसे आयोजन के बहुत ही अच्छे परिणाम निकलेंगे तथा आने वाले समय में देश में एक बेहतरीन स्वास्थ्य नीति तैयार करने में ये काफी सहायक सिद्ध होंगे।
इससे पहले आरोग्य भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राकेश पंडित और संगठन सचिव डॉ. अशोक कुमार वार्ष्णेय ने ‘एक राष्ट्र एक स्वास्थ्य तंत्र’ के महत्व और इस दिशा में आरोग्य भारती के प्रयासों से अवगत करवाया। आरोग्य भारती के प्रदेश महासचिव डॉ. हेमराज शर्मा ने राज्यपाल और अन्य वक्ताओं का स्वागत किया तथा परिसंवाद के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। पीजीआई चंडीगढ़ के न्यूरो साइंसेज रिसर्च प्रमुख डॉ. अक्षय आनंद और वाराणसी के विशेषज्ञ डॉ. इंद्रनील बसु ने इंटिग्रेटेड हेल्थ सिस्टम के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। डॉ. जवाहर कौल ने परिसंवाद का संचालन किया।
परिसंवाद में राज्यपाल के सचिव राजेश शर्मा, आयुष विभाग के सचिव राजीव शर्मा, आयुष विभाग के निदेशक विनय सिंह, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक हेमराज बैरवा, स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त निदेशक राजीव कुमार, अटल मेडिकल विश्वविद्यालय नेरचौक के कुलपति डॉ. सुरेंद्र कश्यप, स्वास्थ्य शिक्षा निदेशक डॉ. रजनीश पठानिया, आरोग्य भारती के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. अनिल मेहता, अन्य पदाधिकारियों, स्वास्थ्य विभाग तथा विभिन्न चिकित्सा संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी महत्वपूर्ण सुझाव रखे।

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