झोपड़पट्टी में रहने वाले सरकारी स्कूल के बच्चे हिंदी में सीख रहे कोडिंग
पंचकूला। कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में इस्तेमाल होने वाली भाषा को प्रोग्रामिंग लैंग्वेज कहा जाता है। इसे लिखने की प्रक्रिया को कोडिंग कहते हैं। अभी तक आपने यह देखा व सुना होगा कि कोडिंग को केवल अंग्रेजी भाषा में ही सीखा जा सकता है लेकिन ट्राईसिटी में पहली झोंपड़ पट्टी के क्षेत्रों में रहकर सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करने वाले बच्चे हिंदी में कोडिंग सीख रहे हैं।
एप्टकोडर इंडिया, प्रयोग फाउंडेशन तथा आशी हरियाणा के संयुक्त प्रयासों से यह संभव हो रहा है। पंचकूला के वार्ड नंबर सात के अंतर्गत आते गवर्नमेंट मॉडल संस्कृति प्राइमरी स्कूल बुढनपुर में शुरू हुए इस अनोखे प्रयोग के बारे में जानकारी देते हुए आईआईटी मुंबई के पूर्व छात्र एवं एप्टकोडर के संस्थापक व सीईओ गौरव अग्रवाल व सहायक संस्थापक आशीष भट्ट ने बताया कि एप्टकोडर ने एशिया में पहला ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है जिसकी मदद से बच्चे हिंदी, पंजाबी या उर्दू समेत कई स्थानीय भाषाओं में कोडिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे सॉफ्टवेयर सीख सकते हैं।
उन्होंने बताया कि भविष्य में कोडिंग का महत्व तेजी से बढ़ रहा है। मॉडल स्कूलों में पढऩे वाले बच्चे तो पैसा खर्च करके प्रतिस्पर्धा में शामिल हो सकते हैं लेकिन बीपीएल श्रेणी के बच्चों के लिए यह संभव नहीं है। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से कोडिंग साक्षरता अभियान को उन बच्चों तक उन्हीं की भाषा में पहुंचाए जाने का बीड़ा उठाया गया है जिनकी पहुंच से यह दूर है।
इस अवसर पर बोलते हुए आशी हरियाणा के वरिष्ठ अधिकारी अरुण कुमार अग्रवाल ने बताया कि बीपीएल परिवारों के बच्चों को मॉडल स्कूलों के बच्चों के बराबर पहुंचाने के उद्देश्य से यह कोर्स पांचवीं कक्षा के बच्चों के लिए शुरू किया गया है। इन बच्चों के लिए यहां बाकायदा एक कंप्यूटर टीचर को रखा गया है। भविष्य में इसका विस्तार करते हुए आगे बढ़ाया जाएगा।
प्रयोग फाउंडेशन के अध्यक्ष संजीव शर्मा ने कहा कि संस्था द्वारा अपने प्रोजेक्ट डिजिटल ह्यूमन के माध्यम से पंचकूला जिले में बच्चों को निशुल्क कंप्यूटर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। निकट भविष्य में मांग के अनुसार कंप्यूटर सेंटरों का विस्तार किया जाएगा।