आपसी सहमति व राजीनामे से लंबित मामलों का निपटान राष्ट्रीय लोक अदालत में करवाएं: सीजेएम कपिल राठी

भिवानी। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी कम सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भिवानी कपिल राठी ने बताया कि अदालत में लंबित मुकदमों के शीघ्र निस्तारण के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की अनुपालना में जिला एवं सत्र न्यायाधीश कम चेयरमैन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भिवानी दीपक अग्रवाल के मार्गदर्शन में आगामी 11 फरवरी (शनिवार) को जिला भिवानी में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा। राष्ट्रीय लोक अदालत में सुलह समझौते के लिए वादीगण स्वयं या अपने अधिवक्ता के माध्यम से अपने केसों का निस्तारण करा सकते हैं। लम्बित मामलों को आपसी सहमति निपटवाए। जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण की सचिव कपिल राठी ने आगे बताया कि न्यायालय में लंबित मामलों को परस्पर सहयोग व सौहार्दपूर्ण माध्यम से निपटाने के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से 11 फरवरी को जिला में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यदि किसी व्यक्ति का कोई प्रकरण/ केस न्यायालय में लंबित है तो वह लोक अदालत के माध्यम से उसका निस्तारण करा सकता है। लोक अदालत में दोनों पक्षों की आपसी सहमति व राजीनामे से सौहार्दपूर्ण वातावरण में दोनों पक्षकारों की रजामंदी से अदालती विवाद निपटाया जाता है। इससे शीघ्र व सुलभ न्याय, कोई अपील नहीं, अंतिम रूप से निपटारा, समय की बचत जैसे लाभ मिलते हैं। राष्ट्रीय लोक अदालत में बैंक लोन से संबंधित मामले, मोटर एक्सीडेंट, एनआईएक्ट, फौजदारी, रेवेन्यू, वैवाहिक विवाद का निपटारा किया जाएगा।
सीजेएम कपिल राठी ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि आपसी सहमति से हल हो सकने वाले मामलों में लोक अदालत बहुत ही कारगर सिद्ध हो रही हैं और लोक अदालत में सुनाए गए फैसले की भी उतनी ही अहमियत है जितनी सामान्य अदालत में सुनाए गए फैसले की होती है। उन्होंने यह भी बताया कि लोक अदालत में सुनाए गए फैसले के खिलाफ अपील दायर नहीं की जा सकती और लोक अदालत में सस्ता और शुलभ न्याय मिलता है। सीजेएम कपिल राठी ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में सस्ता और सुलभ न्याय मिलता है। इन राष्ट्रीय लोक अदालतों के माध्यम से लोगों का बिना समय व पैसा गवाएं केसों का समाधान किया जाता है। राष्ट्रीय लोक अदालतों में ना तो किसी पक्ष की हार होती है और ना ही जीत बल्कि दोनों पक्षों की आपसी सहमति से विवादों का समाधान करवाया जाता है।

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