एमसी परिसर में 17 बूथों के माध्यम से सुलझाएंगे प्रोपर्टी टैक्स की समस्याएं

चंडीगढ़। नगर निगम के आला अधिकारी कुंभकरणी नींद से जाग गए हैं। निगम में मेयर और अधिकारियों की एक बैठक बुलाई गई। इसमें प्रोपर्टी टैक्स भरने वालों की समस्याओं से  टैक्स भर चुके लोगों को राहत दिलाने पर चर्चा की गई। आज की बैठक में फैसला किया गया है कि एमसी परिसर में 17 बूथ बनाए जाएंगे। ताकि इन सभी बूथों पर टैक्स भरने वाले लोगों को समस्याओं से निजात दिला सके।

मेयर राजेश कालिया ने बताया कि सबसे अधिक अखबार से जानकारी मिली थी कि प्रोपर्टी टैक्स भरने वालों को समस्याएं आ रही है। सबसे अधिक उन लोगों को समस्याएं आ रही है, जिन्होंने पहले टैक्स भर दिए इसके बाद भी उन्हें नोटिसें भेजी जा रही है। उन्होंने बताया कि फिलहाल स्थिति यह है कि टैक्स भर चुके लोगों के पास कोई रिकॉर्ड नहीं होने के कारण समस्या आ रही है। पहले कम्प्यूटराइज्ड न होने के कारण कई रिकॉर्ड एमसी के पास नहीं है। इसलिए कमिश्नर केके यादव व अन्य अधिकारियों के साथ बैठक कर फैसला किया गया है कि एमसी परिसर में वीरवार से 17 बूथ लगाकर टैक्स भरने वालों की समस्याओं से निजात दिलाएंगे।ध्यान रहे कि नगर निगम की दादागिरी से शहर के हजारों लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। निगम ने प्रोपर्टी टैक्स से संबंधित हजारों नोटिसें भेजकर शहर के लोगों उन लोगों में आतंक का माहौल पैदा कर दिया गया है, जो वर्षों से नियमित टैक्स जमा कराते आ रहे हैं। उन्हें भी लाखों रुपए टैक्स बनाकर लोगों को नोटिसें भेजी जा रही है। टैक्स भर देने वाले लोगों का कोई रिकार्ड नगर निगम के पास नहीं है। ताकि पता चले कि शहर के कितने लोगों ने कितने करोड़ के प्रोपर्टी टैक्स बकाया है या भर दिए।

पिछले काफी दिनों से नगर निगम में प्रोपर्टी टैक्स डिपार्टमेंट के निकम्मेपन के कारण रेजिडेंशियल और कॉमर्शियल प्रोपर्टी टैक्स भर चुके लोग प्रतिदिन एमसी में आकर सुबह से शाम तक धक्का खाने को मजबूर हैं। हालत यह है कि जिन्होंने वर्ष 2004 में ही टैक्स भर दिए हैं, उसे भी लाखों रुपए का टैक्स बनाकर नोटिस भेजने का काम लगातार जारी है। चौंकाने वाली बात है कि एमसी के आला अधिकारियों की ओर से लिमिटेशन एक्ट की भी धज्जियां उड़ाई जा रही है। हालत यह है कि अब शहर के लोगों को खुद ही एमसी आकर साबित करना पड़ रहा है कि वे डिफॉल्टर नहीं हैं। वहीं जिन लोगों के  पास टैक्स भरने के बाद भी काई प्रमाण नहीं है। उसे साफ शब्दों में लाखों लाख रुपए टैक्स भरने को टैक्स ब्रांच के अनुसार साल 2012-13 में ही सारा रिकॉर्ड कंप्यूटराइज किया गया है, जबकि इससे पहले मैनुअल रिकॉर्ड था। अधिकतर प्रॉपर्टी टैक्स के मामले ही ऐसे आ रहे हैं। शहर में प्रॉपर्टी टैक्स साल 2003 से लागू हैं, लेकिन 10 साल तक नगर निगम ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया, जिसके तहत टैक्स जमा करवाने वालों का रिकॉर्ड रखा जाए।

खुली लूट की छूट है: वहीं फास्वैक के प्रधान बलजिंदर सिंह बिट्टू रोष प्रकट करते हुए कहा कि यह काफी गंभीर मसला है। नगर निगम में खुली लूट मची हुई है। शहर की जनता का कोई रखवाला नहीं है। नगर निगम को खुद अपना रिकॉर्ड रखना चाहिए था, लेकिन एमसी के आला अधिकारी तीन साल के लिए पिकनिक मनाने आते और चले जाते हैं। उन्होंने कहा शहर में जल्द ही प्रोपर्टी टैक्स वसूले जाने को लेकर आंदोलन छेड़ने की तैयारी करने वाले हैं। बिट्टू के अनुसार अगले रविवार को मीटिंग बुलाएंगे।

व्यापार मंडल के प्रधान बोले: व्यापार मंडल के प्रधान सुभाष नारंग ने बताया कि ऐसे बहुत से व्यापारी हैं, जिन्होंने टैक्स जमा करवा दिए हैं। इसके बावजूद उन्हें सीलिग करने के नोटिस भेजकर परेशान किया जा रहा है। लगातार आ रहे नोटिस से व्यापारियों में भारी रोष है।

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