कम जमीन में अधिक उत्पादन लेकर किसान कमा रहे हैं मुनाफा

घीया और करेले की फसल से किसान हुआ मालामाल

अच्छा भाव मिलने के कारण खिल उठा प्रगतिशील किसान का चेहरा

अप्रैल-मई में शुरू की खेती, अब तक कमा चुका है करीब 2 लाख रुपये शुद्घ लाभ

छोटी जोत के किसान ने घीया और करेला लगाया और कई गुणा मुनाफा पाया

कैथल। फसलों के विविधिकरण में किसानों विशेषकर छोटी जोत के किसानों ने भी प्रति एकड़ में मुनाफा कमाने का हुनर सिख लिया है। अब किसान कम जमीन में सब्जियों फूलों और फलों की खेती करके मुनाफा कमा रहे हैं। ऐसे ही किसानों में शामिल है जिला के गांव पबनावा के प्रगतिशील किसान अनिल कुमार, जिन्होंने अप्रैल-मई के महीनें में घीया और करेला लगाकर शुरूआत की और अब इन्होंने करेले के बीच खीरा और घीया के बीच में टमाटर लगाया है। इस विषय को लेकर प्रगतिशील किसान अनिल कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इसी वर्ष अप्रैल-मई में करेला और घीया की बिजाई की। सवा -सवा एकड़ में करेला और घीया की बिजाई करने के लिए लगभग दो लाख लाख रूपये खर्च आया और अब करेला और घीया की लगभग 4 लाख रूपये की बिक्री हो चुकी है। खर्चा निकालकर अब तक लगभग दो लाख रूपये बचा है।

किसान अनिल कुमार बताते हैं कि उन्होंने पहली बार सब्जी की खेती की अढाई एकड़ में सब्जी लगाने के लिए पाईप लाईन बिछाने मल्चिंग, बम्बू, वायर और लबर इत्यादि पर लगभग दो लाख रुपये खर्च हुआ। सब्जी बिजाई की भविष्य की प्लान को लेकर अनिल कुमार बताते है कि अब उन्होंने करेले की बिजाई वाले खेत में खीरे की फसल लगाई है। जबकि घीया के खेत वाली जमीन में टमाटर लगाया है जिस पर मजदूरी समेत 40 हजार रूपये खर्च आया है। अप्रैल से दिसंबर तक की उक्त सभी सब्जियों की बिजाई पर लगभग 3 लाख पचास हजार रूपये खर्च होगा। यदि टमाटर और खीरे की फसल का भाव अच्छा लगता है तो मुनाफा कई गुणा मिलने की उम्मीद है। सरकार द्वारा दी जा रही सुविधा संबंधित विषय पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि बागवानी विभाग के अधिकारियों के मार्गदर्शन से उन्होंने सब्जी उत्पादन में बेहतर प्रयास किया है। छोटी जोत के किसानों के लिए सब्जी उत्पादन का कार्य एक फायदे का सौदा है।

प्रगतिशील किसान ने बताया कि जिला बागवानी अधिकारी डा. प्रमोद कुमार, खंड बागवानी सलाहकार साहिल बनवाला, फील्डमैन कर्णदीप सिंह का भी समय-समय पर सब्जी के खेत का दौरा करके मार्गदर्शन करते रहते हैं। सब्जी उत्पादन का व्यवसाय चल पड़ता है तो किसान अवश्य की मालामाल होंगे। व्यापारी खेत से ही सब्जियां खरीद कर ले जाते हैं और कई बार मंडियों में बेचनी पड़ती हैं। अच्छा भाव मिला इसलिए चेहरे पर भी खुशहाली है। किसान का यह भी कहना है कि अब की बार बारीश के कारण फसल खराब होने के चलते उतना लाभ नहीं मिल पाया, जितना मिलना चाहिए था। बहुत संघर्ष के बाद सब्जियों का उत्पादन अच्छे से कर पाए।

इस विषय को लेकर जब ॒जिला बागवानी अधिकारी डा. प्रमोद कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सरकार ने किसानों, विशेषकर छोटी जोत के किसानों के प्रति एकड़ उत्पादन बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण स्कीमें चलाई हैं, जिसमें फसलों के विविधिकरण केदृष्टिगत किसान फलों, फूलों, दलहनों व तिलहनों की खेती कर सकता है। सदंर्भित विषयों को लेकर अनुदान भी दिया जाता है। जिला में बागों के क्षेत्र को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा 775 एकड़ का लक्ष्य रखा गया है तथा सरकार द्वारा दी जाने वाली अनुदान राशि में काफी ईजाफा किया गया है। नए बाग लगाने पर 30 हजार रुपये प्रथम वर्ष तथा दूसरे व तीसरे वर्ष 10 हजार रुपये सहित कुल 50 हजार रुपये प्रति एकड़ दिए जाने का प्रावधान है।

ड्रैगन फु्रट की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा 1 लाख 20 हजार रुपये प्रति एकड़ अनुदान राशि देने का प्रावधान रखा गया है। जो किसान धान की फसल लगाने की बजाय बाग व सब्जी की फसल लगाएंगे, उन्हें प्रदेश सरकार द्वारा 7 हजार रुपये प्रति एकड़ मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत प्रोत्साहन राशि के रूप में दिए जा रहे हैं।

विभागीय योजनाओं का लाभ लेने के लिए किसानों को www.hortnet.gov.in पोर्टल पर पंजीकरण करवाना होगा। किसानों को लाभ पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर मिलेगा। जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि फसल समूह विकास प्रोग्राम योजना के अन्तर्गत प्रति एकड सब्जी उत्पादन पर 15 हजार रुपये, मल्चिंग पर 6400 रुपये, प्लास्टिक टनल पर 14.50 रुपये प्रति वर्ग मीटर अधिकतम 10, हजार वर्ग मीटर तक, बांस स्टैकिंग पर 31 हजार 250 रुपये प्रति एकड़ व आयरन स्टैकिंग पर 70 हजार 500 रुपये प्रति एकड़ सहायता राशि के रूप में प्रदान किया जाता है।

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