कुरुक्षेत्र पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू,

भगवत गीता को बताया सबसे पवित्र ग्रंथ
चंडीगढ़। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मंगलवार को कुरुक्षेत्र पहुंचीं। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उनका स्वागत किया। राष्ट्रपति ने ब्रह्म सरोवर पर चल रहे हवन यज्ञ में आहुति डाली।ब्रह्मसरोवर पूजन में राष्ट्रपति उस समय भावुक हो गईं जब पंडित ने उन्हें अपने पूर्वज याद करने के लिए कहा।इस पर राष्ट्रपति ने अपना चश्मा उतारकार अपनी आंखें भी साफ की। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में हरियाणा पैवेलियन और शिल्प उद्यान का अवलोकन किया।

इसके बाद राष्ट्रपति कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम पहुंचीं। अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि गीता में हर शंका का समाधान है। यही विश्व का सबसे पवित्र ग्रंथ है। इसका घर-घर, शहर-शहर प्रचार होना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि गीता ही सही अर्थ में अंतरराष्ट्रीय पुस्तक है। गीता सर्वाधिक प्रसिद्ध ग्रंथ है। गीता पूरी मानवता के लिए आध्यात्मिक संहिता है।

उन्होंने कहा कि हरियाणा के युवा से लेकर बेटियां भी गीता के संदेश को अपने अंदर समाहित कर देश का गौरव बढ़ा रहे हैं जो बेहद सराहनीय है। इन पर उन्हें गर्व है। मुर्मू ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी गीता को माता कहते थे। अपने 12 मिनट के उद्बोधन को राष्ट्रपति ने गीता पर ही केंद्रित रखा। इस दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राष्ट्रपति के समक्ष अपने उद्बोधन में घोषणा की कि गीता जयंती महोत्सव के तर्ज पर श्री कृष्ण उत्सव मनाया जाएगा।इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एनआईटी कुरुक्षेत्र पहुंची। इस दौरान उन्होंने ओवरऑल टापर देविका जैन को सम्मानित किया। समारोह में एनआईटी के विद्यार्थी कुर्ता पजामा पहनकर डिग्री लेने पहुंचे हैं।

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