घडिय़ाल की प्रजनन आबादी को स्थापित करने व इसे लुप्त होने से बचाने के लिए पंजाब सरकार प्रयत्नशील: संगत सिंह गिलजियां

– वन मंत्री ने घडिय़ाल पुर्नवास प्रोजैक्ट के अंतर्गत टांडा के गांव कुल्ला फत्ता के नजदीक ब्यास दरिया में 24 घडिय़ाल छोड़े
– जंगली जीवों संबंधी हंटिंग के परमिट व जंगली जीव सैंचरी के 10 किलोमीटर के दायरे के अंदर आते लोगों के लिए असलाह लाइसेंस जारी करने के लिए मोबाइल एप की लांच
चंडीगढ़/टांडा । पंजाब सरकार की घडिय़ाल की प्रजनन आबादी को स्थापित करने व इस प्रजाति को लुप्त होने से बचाने के लिए ब्यास कंजरवेशन रिजर्व में घडिय़ाल पुर्नवास प्रोजैक्ट के तीसरे चरण के अंतर्गत आज टांडा के गांव कुल्ला फत्ता के जंगल के नजदीक ब्यास दरिया में वन, वन्य जीव व श्रम मंत्री संगत सिंह गिलजियां की उपस्थिति में वन्य जीव विभाग की ओर से 24 घडिय़ाल छोड़े गए। उन्होंने कहा कि घडिय़ाल प्रजाति को लुप्त होने से बचाने के लिए पंजाब सरकार के वन्य जीव विभाग की ओर से घडिय़ाल की प्रजनन आबादी को स्थापित करने पर लगातार कार्य किया जा रहा है। इस दौरान उनके साथ प्रधान मुख्य वन पाल व मुख्य जंगली जीव वार्डन पंजाब आर.के मिश्रा भी मौजूद थे।
वन मंत्री ने इस दौरान आयोजित पत्रकार वार्ता के दौैरान लोगों की सुविधा के लिए जंगली जीवों संबंधी हंटिंग के परमिट व जंगली जीव सैंचरी के 10 किलोमीटर के दायरे के अंदर आते लोगों के लिए असलाह लाइसेंस जारी करने के लिए मोबाइल एप को भी लांच किया। उन्होंने कहा कि अब लोगों के लिए लाइसेंस लेने के लिए एन.ओ.सी की प्रक्रिया को आसान कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि घडिय़ाल प्रजाति विश्व स्तर पर लुप्त होने की कगार पर है और यह प्रजाति अब संसार में उत्तर भारत की गंगा, यमुना, चंबल, बांग्लादेश व नेपाल की कुछ नदियों में ही पाई जाती है। उन्होंने बताया कि घडिय़ाल वर्ष 1960 तक ब्यास दरिया में आम देखा जाता था और इसके बाद से ही पंजाब में इसके सरंक्षण के लिए कार्य शुरु कर दिया गया।
संगत सिंह गिलजियां ने बताया कि वन विभाग व वल्र्ड वाइड फंड फार नेचर(डब्लयू.डब्लयू. एफ. इंडिया) के करवाए गए संयुक्त सर्वेक्षण से पता चलता है कि घडिय़ाल रिलिजिंग प्वाइंट से पूरे ब्यास दरिया में फैल रहे हैं। उन्होंने बताया कि विभाग के प्रयासों से ब्यास कंजरवेशन रिजर्व के सर्वेक्षणों के दौरान इन घडिय़ालों को 40 से 50 प्रतिशत की संख्या में देखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस प्रोजैक्ट के पहले चरण के अंतर्गत ब्यास कंजरवेशन रिजर्व में वर्ष 2017-18 के दौरान जिला अमृतसर व तरनतारन में 47 घडिय़ाल पहले छोड़े गए थे और दूसरे चरण के अंतर्गत वर्ष 2020-21 में होशियारपुर जिले के सलेमुपर व टाहली जंगल के साथ लगते ब्यास कंजरवेशन रिजर्व इलाके में घडिय़ालों के लिए अनुकूल टापू का चुनाव कर 23 घडिय़ाल इस टापू पर छोड़े गए थे।
संगत सिंह गिलजियां की ओर से इस दौरान वाइल्ड लाइफ विंग की ओर से तैयार की गई घडिय़ाल कॉफी टेबल बुक जिसमें घडिय़ाल के पुर्नवास प्रोजैक्ट का विस्तार व पंजाब सरकार की ओर से किए गए प्रयासों का जिक्र है को भी लांच किया। इसके अलावा उन्होंने वाइल्ड लाइफ विंग आफ डिपार्टमेंट आफ फारेस्ट एवं वाइल्डलाइफ प्रीजरवेशन पंजाब की नई वैबसाइट https://wildlife.punjab.gov.in/index जिसमें पंजाब के सरंक्षित इलाकों, जंगली जीवों आदि जिसमें आम लोग आसानी से जानकारी हासिल कर सकते हैं की भी शुरुआत की।
इस मौके पर, मुख्य वन पाल(जंगली जीव) चर्चिल कुमार, वन पाल(जंगली जीव) मनीष कुमार, वन पाल जंगली जीव गनाना प्रकाश, वन मंडल अधिकारी जंगली जीव मंडल होशियारपुर गुरशरण सिंह, वल्र्ड वाइड फंड फार नेचर की कोआर्डिनेटर गीतांजलि कंवर, दलजीत सिंह गिलजियां, सनी मियाणी, मास्टर नरिंदर सिंह, राजेश राजू, सरपंच सर्बजीत सिंह कोटला, जसवंत सिंह, लक्की बलड़ा भी मौजूद थे।

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