जल संस्थान से लेना पड़ेगा पानी की गुणवत्ता का प्रमाण पत्र

देहरादून । भारतीय खाघ सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा होटल और रेस्टोरेंट संचालकों के लिए नए दिशा निर्देश दिए गए हैं। अब उनको फूड लाइसेंस तभी मिलेगा जब उनके पास पानी की गुणवत्ता का सर्टिफिकेट होगा। यह जानकारी भारतीय खाघ सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के एक परिपत्र में दी गई है। इस दिशा निर्देश के बाद अब होटल, रेस्टोरेंट संचालक पानी की जांच कराने के लिए जल संस्थान की वाटर क्वालिटी टेस्टिंग लैब में लाइन लगाये खड़े है।
उत्तराखंड के तमाम क्षेत्रों में शुद्ध पानी की किल्लत है। इसके लिए स्पेक्स संस्था के निर्देशक डाॅ. बृजमोहन शर्मा ने कई बार जांच की है। डाॅ. शर्मा का कहना है कि देहरादून के रिस्पना, बिंदाल और सुसवा नदी के पानी में रासायनिक तत्व मानकों से अधिक पाए गए हैं। 
अलग-अलग स्थानों पर नदियों से लिए गए 24 नमूने में करीब 10 घातक रसायन मिले, जो मिट्टी, जलीय पर्यावरण, कृषि एवं जानवरों के लिए घातक हैं। डाॅ. शर्मा का कहना है कि स्पेक्स तीन साल से तीनों नदी के पानी का परीक्षण कर रहा है, नदियों के पानी में हर वर्ष खतरनाक रासायनिक तत्वों का इजाफा हो रहा है।रिस्पना और बिंदाल नदी में पूरे शहर का सीवर जा रहा है। क्लेमेंटटाउन की ओर से आने वाले नाले भी सुसवा नदी में ही मिलते हैं।
उन्होंने कहा कि शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में लिए गए सैंपल में भी दूधली गांव से निकलने वाली सुसवा नदी में आयरन, क्रोमियम, लेड मानकों से काफी अधिक पाया गया है। यही स्थिति क्लोराइड, नाइट्रेट और सल्फेट की भी है। पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम है। टोटल और फीक्ल कॉफीफार्म 1600 एवं 1200 गुना पाए गए। जिसके चलते पेट, त्वचा, अल्सर, बाल झड़ना, भूख कम लगना व हड्डी और कैंसर जैसे रोगों की आशंका रहती है। यही कारण है कि सरकार ने अब खाद्य पदार्थ बेचने वालों पर शिकंजा कसा है लेकिन जल संस्थान जो स्वयं अशुद्ध पानी देता है वहीं लाइसेंस देने वाला विभाग बन गया है।
पानी की गुणवत्ता को लेकर आम आदमी कई बार शिकायतें करते रहे हैं। कई बार तो यह पानी इतना गंदा होता है कि पीने योग्य नहीं होता। ऐसे में जल संस्थान पर कोई कार्रवाई तो नहीं की जाती। बरसात के इस मौसम में गंदे पानी की आपूर्ति के कारण लोग डायरिया के शिकार हो रहे है। खुड़बुड़ा क्षेत्र में बड़ी संख्या में बीमार होने की खबरें हैं लेकिन उस तरफ किसी का ध्यान नहीं है। जो डायरिया पीड़ित हैं वह होटल और रेस्टोरेंट का खाना खाकर या पानी पीकर बीमार नहीं हुए हैं स्वास्थ्य के लिए खाघ मानकों की जांच करने वाली संस्थाओं के निर्देश आम आदमी पर भारी पड़ने वाले हैं।

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