टीबी मरीज से दूर न भागकर उसकी उपचार में सहायता करें: डॉ. शांडिल्य

लोगों को टीबी की बीमारी से बचाव के प्रति निकाली जागरूकता रैली

सात लाख 67 हजार 823 जनसंख्या के सर्वे के लिए 664 टीमों का गठन

भिवानी। डीसी नरेश नरवाल के मार्गदर्शन में चौ. बसीलाल राजकीय सामान्य हस्पताल द्वारा 2025 तक टीबी मुक्त जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में बुधवार को स्थानीय नागरिक हस्पताल से टीबी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए एएनएम व जीएनएम की छात्राओं द्वारा शहर में चेतना रैली निकाली गई। जागरूकता रैली को सिविल सर्जन डॉ. रघुवीर शांडिल्य ने हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। चेतना रैली के माध्यम से छात्राओं ने शहर के विभिन्न इलाकों से गुजर कर नागरिकों को टीबी से बचाव व उपचार के बारे में जागरूक किया। टीबी मुक्त अभियान के तहत जिले की सात लाख 67 हजार 823 जनसंख्या के सर्वे के लिए 664 टीमों का गठन किया गया है। जागरूकता चेतना रैली को हरी झंडी दिखाते हुए सिविल सर्जन डॉ. रघुवीर शांडिल्य ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा फरवरी माह में जिला में सभी स्कूलों, कॉलेजों, बस स्टैण्ड, रेलवे स्टेशन के अलावा अन्य भीड़ वाले स्थानों पर, जिला के सभी सीएचसी और पीएचसी पर टीबी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि भारत को 2025 तक टीबी मुक्त तभी कर सकते हंै, जब प्रत्येक व्यक्ति इसके प्रति जागरूक हो तथा अपना पूर्ण सहयोग दें। इस दौरान उप सिविल सर्जन डॉ. सुमन विश्वकर्मा ने बताया कि अगर कोई भी टीबी का मरीज अपना पूरा ध्यान नही रखता है, खांसते या छिंकते समय मुंह पर कपड़ा नही रखता है, तो वह व्यक्ति दूसरों को टी.बी का मरीज बना सकता है। इसलिए टी.बी के मरीज को यह ध्यान रखना चाहिए कि वह खांसते या छिंकते समय मुंह पर कपडा अवश्य रखें। टीबी से ग्रस्त होने पर भूख कम लगती है वही व्यक्ति को सुस्ती, थकान और कभी-कभी रात में पसीना आना, हल्का बुखार बना रहना आदि लक्षण है। आमतौर पर बीमारी खत्म होने के लक्षण दिखने पर मरीज को लगता है कि वह ठीक हो गया है। उन्होंने बताया कि टीबी मरीज डॉक्टर से बिना पूछे दवा बन्द ना करें। समय रहते अगर टीबी मरीज पूरा कोर्स लेकर अपना इलाज करवाता है तो वह पूरी तरह से ठीक हो जाता है। उन्होने बताया कि टीबी के दौरान मरीज को सरकार द्वारा 500 रूपये प्रतिमाह दिए जाते हंै।

लापरवाही के कारण जानलेवा भी हो जाती है टीबी

टीबी रोग एक बेहद खतरनाक फेफड़ों का रोग है, लेकिन यह दिमाग, गर्भाशय के अतिरिक्त शरीर के किसी भी भाग में हो सकता है। यह बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण फेफड़े सहित रक्त प्रवाह के साथ शरीर के अन्य भागों में भी फैलता है। यह हड्डियों के जोड़, आंत, मूत्र व प्रजनन तंत्र के अंग, त्वचा और मस्तिष्क के उपर की झिल्ली आदि में भी हो सकता है। यदि टीबी को प्रारंभिक अवस्था में ही ना रोका गया तो टीबी जानलेवा भी साबित हो सकता है। सांस लेते समय टीबी के बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर जाते हंै।

हवा में कई घंटों तक रहते है टीबी के बैक्टीरिया

यह बैक्टीरिया किसी रोगी के खांसने से, बात करने, छींकने, थूकने और मुंह खोलकर बोलने की वजह से बैक्टीरिया के रूप में कई घंटो तक हवा में रहते है। जब कोई स्वस्थ व्यक्ति सांस लेता है, तो उसके शरीर में प्रवेश करके यह रोग उत्पन्न करता है। टीबी के बैक्टीरिया धूल में भी मौजूद होते है, जिसमें रोगी की लार, नाक, थूक आदि मिली रहती है। संक्रमित पानी तथा भोजन से भी ये मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। टी.बी के मरीजो को प्रेरित करें कि वे भी समय पर दवाई लें, समय पर खाना खाएं, व्यायाम करे तथा साथ अपने आस-पास साफ सफाई का ध्यान ताकि टी.बी की बीमारी को दूर भगा सकें।

– सात लाख 67 हजार 823 जनसंख्या के सर्वे के लिए 664 टीमों का गठन

जिला में टीबी के प्रति एक फरवरी से दो मार्च 2023 तक जागरूक अभियान चलाया जाएगा और घर-घर जाकर प्रत्येक व्यक्ति की टीबी की बीमारी से सम्बंधित सभी जानकारी ली जाएगी। जिले में कुल सात लाख 67 हजार 823 जनसंख्या है, जिसके सर्वे के लिए 664 टीमों का गठन किया गया है। उन्होंने बताया कि सर्वे के लिए बवानी खेड़ा में 76 टीम जो कि ईटं भ_ो जिसमें गांव बड़सी, सिकन्दरपुर तथा जीताखेड़ी में जाकर सर्वे करेंगी। इसी प्रकार से तोशाम में 223 टीम खानक, डांडम आदि स्लम एरिया, लोहारू में 148 टीम वार्ड नंबर 10 चहड़ कलां तथा कुड़ल, सिवानी में 56 टीमें वार्ड नंबर 11, वार्ड नंबर 3 तथा फक्ट्री एरिया भिवानी में कुल 161 टीम जो कि हनुमान गेट एरिया, दादरी गेट एरिया तथा सेवा नगर एरिया में घर-घर जाकर टीबी के एक्टिव केस के लिए सर्वे करेगीं। उन्होंने बताया कि इस सर्वे का उद्देश्य यह है कि अगर कोई टीबी का मरीज है तो उसकी समय पर पहचान हो सके तथा वह मरीज समय पर दवाई ले सके जिससे वह इस बीमारी से मुक्त हो सके।

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