तप तथा दान का मेल अक्षय तृतीया की गरिमा बढ़ाने वाला है- मुनि पीयूष

पंचकूला में वर्षीतप पारणे का भव्य आयोजन
पंचकूला। अक्षय तृतीया ज्योतिषीय दृष्टि से शुभ मुहुर्त है जो स्वयंसिद्ध होने के कारण इस समय किए गए कार्य स्थाई एवं चिरंतन रूप से मंगल होने के साथ विघ्न-बाधाओं से रहित होते हैं। यह दिन प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के वर्षीतप के पारणेतथा श्रेयांसकुमार द्वारा इक्षुरस के निर्दोष आहार दान की स्मृति स्वयं में समेटे हुए है। तप तथा दान का संयोग इस पर्व की गरिमा बढ़ाने वाला है। उपप्रवर्तक श्री पीयूष मुनि जी महाराज ने सैक्टर 17 स्थित जैन स्थानक में अक्षय तृतीया पर तपअभिनन्दन एवं पारणा महोत्सव में अपने प्रभावी विचार प्रकट किए।

उन्होंने कहा कि अक्षय तृतीया के साथ अनेक ऐतिहासिक प्रसंग जुड़े हुए हैं जो हर दृष्टि से इसकी महत्ता सिद्ध करते हैं और इस तिथि का कभी क्षय न होने के कारण इस शुभ घड़ी में की जाने वाली पूजा-पाठ, जप -तप अक्षय बन जाता है। सुपात्र दान देने के साथ यथाशक्ति बाहरी एवं आंतरिक तप की आराधना करते हुए अपने कल्याण की भूमिका बनानी चाहिए।

साध्वी उदितप्रभा, मुनि संयमेश ने भी अपने भजनों तथा संबोधनों से पर्व की महत्ता पर प्रकाश डाला। श्री संघ की ओर से वर्षी तप करने वाली तपस्वी आत्माओं का अभिनंदन एवं बहुमान किया गया। इक्षुरस तथा प्रीतिभोज का सुप्रबन्ध रहा। पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आर.सी. गुप्ता, राष्ट्रीय कवि संगम के प्रांतीय प्रभारी सुरेंद्र सिंगला, स्थानीय मेयर कुलभूषण गोयल तथा पार्षद रितु गुप्ता उपस्थित रहे। चंडीगढ़, मोहाली, जीरकपुर, ढकोली तथा आस-पास के सारा कार्यक्रम भव्य रूप में संपन्न हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published.