धरना स्थल बन गया आमजन के लिए मुसीबत स्थल

रोजाना शोर शराबे से निजता भंग होने के साथ साथ बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा बुरा असर

न तो मांगें मान रही सरकार न ही धरना प्रदर्शन के लिए इकट्ठे हुए प्रदर्शनकारी झुकने को तैयार

रिहायशी इलाकावासियों में बढ़ता जा रहा प्रशासन के प्रति गुस्सा

चंडीगढ़| नए साल से लेकर अब तक पंचकुला चंडीगढ़ बॉर्डर पर दो दर्जन से भी अधिक प्रदर्शन होना पंचकुला प्रशासन की लापरवाही का जीता जागता नमूना है जिसके चलते पंचकुला प्रशासन द्वारा इन प्रदर्शनों के लिए चिन्हित/मंजूर किए गए धरना प्रदर्शन स्थल तक ही सीमित न रख पाना आमजन के लिए मुसीबत बन गया है,आलम ये है कि बॉर्डर पर बसे सैक्टरों में रहने वाले लोगों में भी रोज रोज के इस प्रदर्शन से होने वाली परेशानी के चलते प्रशासन के प्रति रोष बढ़ता जा रहा है | लोगों का मानना है कि प्रशासन को अपने स्तर पर इन प्रदर्शनकारियों को जब एक जगह मुकरर की हुई है तो ये प्रदर्शनकारी उस मुकर्रर जगह से आगे बढ़ते हुए बॉर्डर तक कैसे पहुंच जाते हैं,इसके लिए जिम्मेदार प्रशासन ही है| लोगों ने इस लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है| स्थानीय लोगों का कहना है कि रोजाना इस लापरवाही बरतने वालों के कारण ये प्रदर्शनकारी बॉर्डर तक पहुंचते हैं जिसके चलते बच्चों की पढ़ाई पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ने लगा है क्योंकि दिन में इन प्रदर्शनकारियों का शोर एवं माइक के साथ लगने वाले नारों से बच्चों की पढ़ाई में एकाग्रता खत्म होती है जिसका जिम्मेवार सीधे तौर पर प्रशासन है|

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