नई एवं नवीकरणीय ऊर्जा से सम्बन्धित पक्षों की वर्कशॉप में प्रांतीय ऊर्जा कार्य योजना पर विचार-विमर्श इंडो जर्मन एनर्जी एक्सैस-2 के अधीन की जा रही है नई पहलकदमी

चंडीगढ़ । इंडो-जर्मन एनर्जी प्रोग्राम (आई.जी.ई.एन.) असैस-2 प्रोग्राम के अधीन विकसित किए जा रहे प्रांतीय ऊर्जा कार्य योजना पर विचार-विमर्श के उद्देश्य से आज नई एवं नवीकरणीय ऊर्जा से सम्बन्धित पक्षों द्वारा यहाँ सैक्टर-33 स्थित पेडा भवन में वर्कशाप करवाई गई। वर्कशॉप में जर्मनी की संस्था जी.आई.ज़ैड, पंजाब ऊर्जा विकास एजेंसी (पेडा), प्राइस वॉटर हाऊस कूपर्स प्राईवेट लिमटिड (पी.डब्ल्यू.सी,) के अधिकारी और सम्बन्धित 17 सरकारी विभागों जैसे कि योजना विभाग, परिवहन, पी.एस.पी.सी.एल., लोक निर्माण विभाग जल आपूर्ति, स्थानीय सरकार, आवास निर्माण एवं शहरी विकास के नोडल अधिकारी शामिल हुए। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि आई.जी.ई.एन. असैस-2 प्रोग्राम स्वच्छ, किफ़ायती और विश्वसनीय ऊर्जा तक पहुँच को सुनिश्चित बनाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए प्रमाणित कारोबार या प्रौद्यौगिकी को बढ़ावा देने की ओर केंद्रित है और इसका उद्देश्य यू.एन.डी.पी. (सभी के लिए किफ़ायती, विश्वसनीय, सतत और आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच) के सात सतत विकास लक्ष्यों और भारत के एस.डी.जी. 2030 एजंडे के 13 सतत विकास लक्ष्यों (जलवायु परिवर्तन से निपटना) को पूरा करना है। इस सम्बन्ध में बहु क्षेत्रीय राज्य ऊर्जा कार्य योजना तैयार करने के लिए 23 सितम्बर 2020 को जी.आई.ज़ैड. और पेडा के दरमियान समझौता पहले ही सहीबद्ध किया जा चुका है। पेडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नवजोत पाल सिंह रंधावा ने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा प्रणाली में बदलाव और नवीकरणीय खरीददारी जि़म्मेदारियों को पूरा करने के लिए एन.ए.पी.सी.सी. के हिस्से में शुद्ध और कम कार्बन घोल और नवीकरणीय ऊर्जा का प्रयोग करने के लिए पंजाब द्वारा भारत में नवीकरणीय ऊर्जा में बदलाव में अग्रणी भूमिका निभाने संबंधी विचार किया जा रहा है। राज्य स्तर पर उन्होंने उद्योग, यातायात, घरेलू, व्यापारिक और कृषि क्षेत्रों की गतिशीलता पर ज़ोर देते हुए कहा कि यह नए अवसर लेकर आ रहे हैं और धीरे-धीरे ऊर्जा की माँग इसकी आपूर्ति की अपेक्षा अधिक हो रही है। श्री रंधावा ने कहा कि ऐसे बदलते पैटर्न राज्य को स्वच्छ और कम-कार्बन वाली बिजली उत्पादन, घरेलू और व्यापारिक माँग क्षेत्रों के लिए कम कार्बन वाली हीटिंग और कूलिंग मुहैया करवाने, खाना बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन मुहैया करवाने, ग्रामीण क्षेत्रों तक ऊर्जा की पहुँच बढ़ाने, कृषि अभ्यासों का आधुनिकीकरण करने समेत ऊर्जा क्षेत्र के रोज़ाना के आधार पर काम करने के तरीके को फिर परिभाषित करने के लिए प्रेरित करेंगे। इस मौके पर पेडा के डायरैक्टर एम.पी. सिंह ने ऊर्जा क्षेत्र की रणनीतियों को क्रियाशील कम-कार्बन उपायों में बदलाव करने के निरंतर यत्नों पर ज़ोर दिया जोकि पेडा द्वारा स्वच्छ और कम कार्बन वाली ऊर्जा की उपयोगिता बढ़ाने के लिए किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस समय नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा कुल ऊर्जा ज़रूरतों का सिफऱ् 12.5 प्रतिशत है। राज्य सरकार ने पंजाब विजन डॉक्यूमैंट 2030 रणनीति के द्वारा 2030 तक इस हिस्से को 30 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध अभिव्यक्त की है। यह ना सिफऱ् ऊर्जा उत्पादन की तरफ ध्यान केंद्रित करता है, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में माँग आधारित दख़ल की ज़रूरत पर भी ज़ोर देता है। विजन डॉक्यूमैंट में छोटे पन-बिजली, बायोमास, सह-उत्पादन, सोलर पी.वी., बायोगैस और ऊर्जा कुशलता सुधारों के क्षेत्रों में लम्बे समय के लक्ष्यों और योजनाओं को दिखाया गया है। इसके अलावा इलैक्ट्रिक वाहनों (ई.वी.), कार्बन, कैप्चर, स्टोरेज और उपयोगिता, हाईड्रोजन जैसी नई प्रौद्योगिकियों तक संभावित पहुँच का मुल्यांकन करने के यत्न की भी ज़रूरत है, जो परिवहन और उद्योग क्षेत्र में ऊर्जा की माँग को प्रभावित कर सकते हैं और जी.एच.जी. उत्सर्जन घटाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। 2040 तक राज्य के ऊर्जा दृष्टिकोण का विस्तृत अध्ययन किया गया और एक मज़बूत ऊर्जा कार्य योजना और डी.एस.टी. विकसित किया गया, जिसका प्रयोग राज्य की नीति और निर्णय निर्माताओं द्वारा लम्बे समय के लिए क्षेत्रीय योजना के लिए किया जा सकता है। जी.आई.ज़ैड के आई.जी.ई.एन. असैस-2 के तकनीकी विशेषज्ञ मनोज मैहता ने बताया कि ऊर्जा कार्य योजना एक रणनीतक नीति दस्तावेज़ के तौर पर काम करेगी, जो आपूर्ति और माँग पक्ष से राज्य के संभावित लम्बे समय की ऊर्जा की दृष्टि, कार्यवाहियों और प्राथमिकताओं की रूप-रेखा तैयार करेगी और प्रोजैक्ट की बहु-क्षेत्रीय ऊर्जा माँग को पूरा करने के लिए कम कार्बन वाला अपेक्षित ऊर्जा मिश्रण भी पेश करेगी। इसके अलावा ऊर्जा कार्य योजना राज्य के नीति निर्माताओं को ऊर्जा, कृषि, परिवहन, उद्योग, घरेलू और व्यापारिक क्षेत्रों से लघु, मध्यम और दीर्घकालिक नीतियों, प्रोग्रामों और निवेशों को उपयुक्त प्राथमिकता देने में सहायता करेगी। ऊर्जा कार्य योजना परिवर्तन के सम्बन्ध में मौजूदा क्षेत्रीय रणनीतियों और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखेगी और जी.एच.जी. उत्सर्जन घटाने और एस.डी.जी. लक्ष्य हासिल करने के लिए अपनाए जा सकने वाले वैक्लपिक कम कार्बन तरीकों की जांच भी करेगी। मौजूदा नीति की शर्तों के अधीन 2040 तक राज्य की ऊर्जा का मुल्यांकन करने के लिए आधारभूत नीति की शर्तों के अधीन पंजाब के दीर्घकालिक ऊर्जा दृष्टिकोण का मुल्यांकन करने के लिए मज़बूत और वैज्ञानिक तौर पर प्रामाणित ऊर्जा प्रणालियों के मॉडलिंग ढांचे का प्रयोग किया गया है। श्री मैहता ने कहा कि राज्य की नीति और फ़ैसले लेने वाले किसी भी स्तर पर ऊर्जा योजना के लिए इस उपकरण का प्रयोग कर सकते हैं और प्रयोक्ताओं को दीर्घकालिक ऊर्जा नीति का अनुकरण करने में सहायता कर सकते हैं। इस वर्कशॉप में अन्यों के अलावा पेडा के सीनियर मैनेजर परमजीत सिंह, प्रोजैक्ट इंजीनियर मनी खन्ना, अमित कुमार, विनीत भाटिया और पी.डब्ल्यूू.सी. से संजीव बंसल उपस्थित थे।

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