‘पंजाब में स्वच्छ हवा आगामी चुनावों में राजनीतिक घोषणापत्र में शीर्ष पर होनी चाहिए’

चंडीगढ़ । पंजाब के विशेषज्ञों और सिविल सोसाइटी के सदस्यों ने अपनी तरह के पहले कदम में आज यहां आयोजित टाउन हॉल बैठक में राज्य भर में हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए सिफारिशों के एक विस्तृत सेट पर चर्चा की और उसे विस्तृत एजेंडे के तौर पर तैयार किया।
इन सिफारिशों को अब वायु प्रदूषण से निपटने के लिए लोगों के घोषणापत्र में शामिल किया जाएगा और जल्द ही सभी राजनीतिक दलों को सौंप दिया जाएगा।
इकोसिख और क्लीन एयर पंजाब द्वारा आयोजित-वायु प्रदूषण के मुद्दे पर काम करने वाला एक नागरिक सामूहिक  संगठन है, द्वारा आयोजित टाउन हॉल में राज्य भर के पचास से अधिक प्रमुख नागरिकों ने भाग लिया।
नागरिकों की मांगें उनके साफ हवा में सांस लेने के अधिकार और सांस लेने की क्षमता पर केंद्रित हैं। इस तथ्य को भी उजागर किया गया कि पंजाब भारत के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों का घर है, जिनमें मंडी गोबिंदगढ़, अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, खन्ना और पटियाला शामिल हैं।
इस बारे में बोलते हुए कि कैसे नागरिक समूहों ने वायु प्रदूषण पर संवाद को बढ़ाया है और इसे आगामी पंजाब विधानसभा चुनावों के लिए चुनावी मुद्दा बनाया है, बैठक में इको सिख पंजाब की प्रेसिडेंट सुप्रीत कौर ने कहा कि ‘‘वर्ष-2021 पहली बार वायु प्रदूषण है। पंजाब भर में नागरिक अभियानों में प्रकाश डाला गया। नागरिक समूहों, स्वास्थ्य चिकित्सकों और विशेषज्ञों द्वारा बनाई गई गति को अपने वर्तमान पैमाने तक पहुंचने में वर्षों  लग गए हैं।’’ उन्होंने कहा कि पंजाब के नागरिकों ने अब जहरीली हवा के खिलाफ आवाज उठा ली है जो कि न सिर्फ उनको बल्कि उनके बच्चों को भी प्रभावित कर रही है।
सुप्रीत कौर ने कहा कि पंजाब के लोग इस चुनाव में स्वच्छ हवा के अपने अधिकार के लिए वोट करेंगे और चाहे जो भी चुने, वे अपने नेताओं को नेतृत्व करने और वायु प्रदूषण से लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए आवश्यक बदलाव लाने के लिए जिम्मेदार ठहराएंगे।
इस दौरान की गई प्रमुख सिफारिशों में से एक, जिस पर टाउनहॉल में सभी ने सर्वसम्मति से सहमति व्यक्त की थी, वह थी राज्य भर में वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क को बढ़ाना और इसे अधिक से अधिक शहरों में लेकर जाना।
पंजाब में नेशनल क्लीन एयर एक्शन प्लान (एनसीएपी) के तहत कुल नौ नॉन-अटेनमेंट/मिलियन से अधिक आबादी वाले शहर हैं और विचार-विमर्श में सभी ने सहमति व्यक्त की कि प्रत्येक नॉन-अटेनमेंट शहर में कम से कम पांच रियल टाइम एयर क्वालिटी मॉनिटिरिंग स्टेशन होने चाहिए, जो कि विविध प्रकार के भूमि उपयोग, जिसमें शामिल हैं-आवासीय, यातायात, औद्योगिक, मिश्रित उपयोग/वाणिज्यिक पर नजर रख सकें। इसके अलावा, राज्य के नॉन-अटेनमेंट शहरों के नजदीक के गांवों में प्रत्येक में कम से कम दो रियल-टाइम निगरानी स्टेशन होने चाहिए।
टाउन हॉल में बोलते हुए, एक जैविक खेती करने वाले किसान, सीएस ग्रेवाल ने कहा कि ‘‘हमें इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि हम एक ऐसे बिंदु पर कैसे पहुंचे हैं जहां हम जिस हवा में सांस लेते हैं वही हमारी मृत्यु का कारण बन सकती है। पंजाब में नीति निर्माताओं को इस प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए; प्रदूषण के ग्रामीण और शहरी स्रोतों और उनके समाधानों को शामिल करते हुए एक व्यापक रोडमैप तैयार किया जाना चाहिए।’’
वॉरियर मॉम्स पंजाब की सदस्य समिता कौर ने वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभावों पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए साझा किया कि भारत में वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक हालिया अखिल भारतीय अध्ययन में पाया गया कि खराब वायु गुणवत्ता और पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 के उच्च उत्सर्जन वाले क्षेत्र हैं, वहां पर कोविड-19 संक्रमण और संबंधित मौतों की संख्या अधिक हाने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि ‘‘यह सुनिश्चित करना कि हमारे पास सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा है, यह भी एक सामूहिक जिम्मेदारी है। स्थानीय अधिकारियों के साथ-साथ व्यक्तियों को सरल, किफायती और उचित तरीकों को अपनाकर उचित अपशिष्ट प्रबंधन सुनिश्चित करना चाहिए ताकि शून्य कचरा जलाया जा सके, जो हमारे स्वास्थ्य को तुरंत और गंभीर रूप से प्रभावित करता है।’’
एक प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता और इंस्टीट्यूट ऑफ सिख स्टडीज के प्रेसिडेंट गुरप्रीत सिंह ने कहा कि ‘‘स्कूलों को बंद करना या स्मॉग टावर लगाना केवल आधे-अधूरे समाधान हैं। वायु प्रदूषण हमारी पीढ़ी का दम घोंट रहा है, जिससे बड़ी संख्या में मौतें हो रही हैं। अलग अलग रिपोर्टों के अनुसार, साल 2019 में पंजाब में हुई कुल मौतों में 41,090 मौतें या कुल मौतों का लगभग 19 प्रतिशत अकेले वायु प्रदूषण का ही परिणाम हैं। जबकि हम इस विषय पर राजनीतिक दलों के विचार देखते हैं तो वायु प्रदूषण को कम करने के लिए ठोस उपाय करने के लिए उनकी योजना बहुत कम है या सिरे से ही गायब है।’’
सिंह ने आगे कहा कि ये सिफारिशें सार्वजनिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि ‘‘चाहे कोई भी सरकार बना ले, उन्हें वायु प्रदूषण के मुद्दे को प्राथमिकता से उठाना चाहिए। वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक आंदोलन शुरू करने के लिए ये सिफारिशें बहुत फायदेमंद साबित हो सकती हैं।’’
वायु प्रदूषण आज भारत के सामने सबसे बड़ी पर्यावरणीय चुनौतियों में से एक है, वैश्विक रिपोर्टों के अनुसार, इसे कई मौतों में प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में देखा जाता है। और पंजाब के पास चिंता का एक कारण है, नेशनल क्लीन एयर एक्शन प्लान (एनसीएपी) के तहत कुल नौ नॉन-अटेनमेंट/मिलियन से अधिक आबादी वाले शहर हैं। एक नॉन-अटेनमेंट शहर को एक के रूप में संदर्भित किया जाता है, जो केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा निर्धारित निर्धारित वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं करता है

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