पलवल में जन्मीं, अंबाला में पली-बढ़ीं, देश-दुनिया की चहेती बनीं सुषमा स्वराज
पलवल शहर शोक में डूबा, परिजन और सहेलियां सदमे में
पलवल । पलवल में जन्मी और अंबाला में पली-बढ़ीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वरिष्ठ नेत्री और पूर्व विदेशमंत्री सुषमा स्वराज के आकस्मिक निधन से सारा शहर शोक में डूब गया। उनकी भाभी, मां और सहेलियां गहरे सदमे में हैं। देश-दुनिया की चहेती सुषमा स्वराज के न रहने का सदमा यहां हर किसी को है।
वह सबसे कम उम्र में भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता बनीं। इसकी देन उनके पिता स्वर्गीय श्री छैल मोहन थे। उन्होंने उन्हें बचपन से ही एक ओजस्वी वक्ता और कवि के गुण कूट-कूट कर भर दिए थे। सुषमा स्वराज बचपन में सहेलियों के साथ खेलते हुए भाषण दिया करती थीं और उनके पिता सुषमा को कुर्सी के ऊपर खड़ा करके कहते थे कि यह महसूस करो कि सामने हजारों श्रोता बैठे हैं।
स्वर्गीय छैल मोह पलवल नगर परिषद और नगर पालिका में सचिव रहे। इसके बाद वह जीजीडीएसडी कालेज में हेड क्लर्क रहे। सुषमा स्वराज की मां मूर्ति देवी का देहावसान प्रसव के समय हुआ था। उसके कुछ वर्ष बाद उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली। सुषमा स्वराज के बड़े भाई डॉक्टर गुलशन राय को उनके नाना ने गोद लिया था। मां के निधन के बाद सुषमा भी भाई के साथ चली गईं और कुछ समय बाद सुषमा स्वराज की बड़ी बहन वंदना शर्मा भी अंबाला चली गईं । चार भाई -बहनों में डॉ. गुलशन राय सबसे बड़े थे। उनसे छोटी वंदना शर्मा , वंदना से छोटी सुषमा स्वराज और सबसे छोटे भाई अरविंद शर्मा थे। अरविंद का करीब आठ साल पहले पलवल में निधन हुआ था ।
सुषमा स्वराज की दूसरी मां माया भारद्वाज के दो पुत्र गिर्राज शर्मा और हनुमत शर्मा पलवल में रहते हैं। सुषमा स्वराज के निधन का समाचार माया भारद्वाज को सुबह मिला। उन्होंने सबसे पहले अपने छोटे बेटे हनुमत को इसकी सूचना दी। इसके बाद हनुमत सीधे दिल्ली लिए रवाना हो गए। गिर्राज शर्मा तड़के तीन बजे चंडीगढ़ रवाना हुए थे।
सुषमा स्वराज की यादों में डूबी माया भारद्वाज और उनकी सहेली कामिनी कौशल, भाभी सरोज, पारिवारिक सदस्य मूर्ति शर्मा ने कहा, पलभर में सब खत्म हो गया। कामिनी कौशल कहती हैं कि उनके घर में वो झूला झूलने आती थीं। वो हर दिल अजीज थीं। सबकी मदद करती थीं। वो कभी हार नहीं मानी और किसी से रार भी नहीं ठानी। वह सभी की चाहती थीं। उनके अंदर अपने पिता गुण थे। उनकी भाभी सरोज ने बताया कि 1984 में निधन से पहले तक बाबूजी छैलमोहन उन्हें भाषण लिखकर दिया करते थे। सुषमा स्वराज की पढाई-लिखाई में उनके नाना हरदेव का अहम योगदान है।
परिजनों का कहना है कि उनका हमेशा पलवल से नाता रहा। व्यस्तता के बावजूद वो पलवल आती रहती थीं ।छोटे भाई अरविंद के निधन पर कई घंटे रुकीं थीं। छोटे भाई हनुमत के ओमेक्स सिटी स्थित नए मकान के मुहूर्त पर भी आई थीं। भाइयों और परिवार के सुख-दुख की हमेशा खबर लेती रहती थी।