पशु चिकित्सकों ने एसिडोसिस से पीडि़त 66 बीमार गायों का किया उपचार
-सर्जरी में गायों के पेट से निकला कई किलो पोलिथिन व कचरा
-पशु चिकित्सकों ने कहा, दो गायों की मृत्यु पेट में पोलिथिन व कचरा होने की वजह से सास लेने में दिक्कत होने पर हुई है
भिवानी। पशु पालन एवं डेयरी विभाग द्वारा श्राद्ध की अमावस्या पर गायों की असमय मृत्यु से बचाने की मुहिम रंग लाई। पिछले वर्षों की तुलना में तली हुई चीजे खाने से होने वाली मृत्यु दर में बहुत कमी आई है। पशु पालन एवं डेयरी विभाग ने सप्ताह भर पहले से ही मीडिया, कैंप, पम्पलेट, लाउडस्पीकरों पर अनाऊंसमेंट आदि के माध्यमों से लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि अमावस्या को गायों को तली हुई चीजे खीर, पुरी आदि ना खिलायें। लोगों ने भी विभाग की अपील पर अमल किया और गायों को एसीडोसिस से बचाने मेें अपना सहयोग दिया।
नगर परिषद ने भी तली हुई चीजे वार्ड के हिसाब से कैंटरों में इक्टठी करने का कार्य किया और गायों को मृत्यु का ग्रास बनने बचाया। पशु पालन विभाग के उप निदशेक डा. सुखदेव राठी ने बताया कि उन्होंने अमास्या के दिन छुटटी वाले दिन भी सभी पशु अस्पतालों को खोलने के आदेश दिये थे। भिवानी के सभी पशु चिकित्सकों ने इन छुटिटयों मेें अपनी ड्यूटी को बखूबी निभाया व एसिडोसिस से पीडि़त 66 बीमार गायों का उपचार किया। इस दौरान एसीडोसिस से एक भी गाय को मरने नहीं दिया गया। तीन गायों की एमरजेंसी सर्जरी (रूमनोटोमी) करनी पड़ी। सर्जरी में उनके पेट से कई किलो पोलिथिन व कचरा निकला। डा. राठी ने बताया कि दो गायों की मृत्यु पेट में पोलिथिन व कचरा होने की वजह से सास लेने में दिक्कत होने पर हुई है। अत: उन्होंने जनता से अनुरोध भी किया है कि लोग खुले में पोलिथिन व कचरा ना डाले ताकि इसके खाने से मासूम पशुओं की मृत्यु ना हो। इस मौके पर शहर में डा. सोनू वर्मा, डा. राज कुमार काल्हेर, डा. सुनील बिसला, डा. सुनील बुंदेला, डा. दिनेश, डा. सुभाष, डा. अमित पूनिया ने दिन रात मेहनत करके गायों का ईलाज किया और उन्हें एसिडोसिस से मरने से बचाया। उन्होंने बताया कि एसिडोसिस के कारण जो गेस बनती है वो पोलिथिन व कचरा पेट में फसे होने के कारण बाहर नहीं निकल पाती जिस वजह से सास लेने में दिक्कत होती है व पशु मर जाता है। इस अवसर पर विलडीए रविंद्र कुमार, अमित, सुनील, पवन, संदीप, रण सिंह तंवर आदि ने चिकित्सकों के साथ अपना पूर्ण सहयोग दिया।