पीजीआई के रेजिडेंट डॉक्टर सुर, ताल और योग की तिकड़ी से तनाव को बोल्ड करने तैयारी में जुटे

चंडीगढ़। चंडीगढ़ पीजीआई के रेजिडेंट डॉक्टर आजकल सुर, ताल और योग की तिकड़ी से तनाव को बोल्ड करने तैयारी में जुटे हुए हैं। संस्थान में पहली बार डॉक्टरों का तनाव दूर करने के लिए इस प्रकार की व्यवस्था की है। यह पहल पीजीआई रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने की है।इसके लिए योग और संगीत के तीन प्रशिक्षक भी रखे गए हैं जो सुबह और शाम को रेजिडेंट डॉक्टरों को योग और संगीत के माध्यम से तनाव मुक्त रहने के साथ ही उनके शौक को तराशने में मदद कर रहे हैं। पीजीआई के स्वीमिंग पूल कांप्लेक्स स्थित म्यूजिक रूम को इसके लिए चुना गया है। यहां रेजिडेंट डॉक्टर गिटार, ड्रम, तबला, हारमोनियम, बांसुरी और ऐसे अन्य वाद्य यंत्रों से शाम को संगीतमय बना रहे हैं।
म्यूजिक रूम में फोरेंसिंक मेडिसिन के डॉ. दिलीप, मनोचिकित्सा विभाग के डॉ. वेल प्रसाद व डॉ. पीयूष पाठक और डॉ. राहुल चक्रवर्ती शाम 7 बजे पहुंचते हैं। एक से डेढ़ घंटे तक सभी अपनी पसंद के वाद्य यंत्रों व संगीत की धुन पर रियाज करते हैं। डॉ. दिलीप की सुरीली आवाज पर डॉ. वेल प्रसाद का ड्रम और डॉ. पियुष की गिटार की धुन चार चांद लगा देते हैं। इन्हीं की तरह अन्य रेजिडेंट्स को जैसे-जैसे अपने काम से समय मिलता है वे शाम 7 से 9 बजे के बीच यहां आकर अपने शौक को और तराशने में जुट जाते हैं। यहां आने वाले डॉक्टरों का कहना है कि ड्यूटी के कारण जिन दोस्तों से महीनों मुलाकात नहीं होती थी उनसे मिलने का अवसर संगीत के रूप में मिला है। सुबह 6 और शाम के 7 बजे पीजीआई के स्वीमिंग पूल कांप्लेक्स स्थित म्यूजिक रूम में चहलकदमी शुरू हो जाती है। जहां एक ओर सुबह अनुलोम-विलोम, कपालभाति, सूर्य नमस्कार और ऐसे ही अन्य उपयोगी योग और आसन करने वाले जुट रहे होते हैं, वहीं दूसरी ओर शाम को संगीत और गीत के चाहने वाले एकजुट हो रहे हैं। यहां संचालित हो रहे योग और संगीत के प्रशिक्षण कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. पीयूष पाठक का कहना है कि ये वर्षों से दबे शौक को निखारने का अवसर है। डॉक्टरी की पढ़ाई शुरू करते ही सारे शौक कहीं खो जाते हैं। अब जब हम डॉक्टर बन गए हैं तो उन दबे हुए शौक को एक बार फिर से उभारने का प्रयास होना जरूरी है क्योंकि हमारे तनाव प्रबंधन का इससे बेहतर माध्यम और कुछ नहीं हो सकता। मौजूदा समय में तनाव का स्तर इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। मैं मनोचिकित्सा विभाग में हूं। मरीजों को तनाव मुक्त रहने के लिए योग, ध्यान और संगीत का सहारा लेने की सलाह देता हूं। काम के दबाव के कारण हमारा तनाव का स्तर भी दिनोंदिन बढ़ रहा है, हमें तो इसकी ज्यादा जरूरत है। इसके महत्व को समझते हुए रेजिडेंट डॉक्टरों को यह अवसर प्रदान किया गया है। -डॉ. राहुल चक्रवर्ती, अध्यक्ष, पीजीआई रेजीडेंट डॉक्टर एसोसिएशन

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