प्रशासन ने लंगर वाले बाबा की पत्नी निर्मल आहूजा को पद्मश्री पुरस्कार सौंपा

चंडीगढ़। लंगर वाले बावा के नाम से मशहूर जगदीश लाल आहूजा की पत्नी 74 वर्षीय निर्मल आहूजा को मंगलवार को चंडीगढ़ प्रशासन ने पद्मश्री पुरस्कार सौंपा। जगदीश लाल आहूजा को सेवा कार्यों के लिए पद्मश्री अवॉर्ड के लिए चुना गया था, लेकिन खराब सेहत के चलते वह दिल्ली जाकर यह अवॉर्ड हासिल नहीं कर पाए थे। उसके बाद उनकी मृत्यु हो गई थी। ऐसे में अब चंडीगढ़ प्रशासन ने उनकी धर्मपत्नी को इस अवॉर्ड को सौंपा

चंडीगढ़ प्रशासक के सलाहकार धर्मपाल ने उन्हें यह सम्मान दिया। जगदीश लाल आहूजा गरीब और बेसहारा लोगों के लिए लंबे समय से पीजीआई के बाहर लंगर की सेवा चला रहे थे। 2 माह पहले ही में उनका देहांत हुआ था। पत्नी निर्मल आहूजा भी उनके साथ इस सेवा कार्य में लंबे समय से जुड़ी हुई थी।

निर्मल आहूजा खराब सेहत के चलते बात नहीं कर पाई। उनके बेटे गिरीश आहूजा ने बताया कि उनकी माता पिछले 10 सालों से इस सेवा कार्य में उनके पिता के साथ लगी हुईं थी। जब भी पापा लंगर सेवा के लिए जाते तो वह उनके साथ ही रहती थी। बीते दिनों वह कोरोना संक्रमित हो गईं थी। ऐसे में खराब तबीयत के बाद वह अभी ठीक हुई हैं। वह 20 दिन हॉस्पिटल में भी रहीं।

गिरीश आहूजा ने बताया कि आज भी पीजीआई के बाहर रोजाना सुबह साढ़े 10 से 11 के बीच लंगर लगाया जा रहा है। इस सेवा कार्य में उनके वर्कस भी लगे रहते हैं। गिरीश ने कहा कि उनके पिता ने कभी भी इस सेवा कार्य के लिए किसी से चंदा नहीं लिया। गिरीश ने बताया कि जब वह 8 साल के थे तब पिता ने पहली बार उनके नाम का सेक्टर 26 मंडी में लंगर लगाया था। इसके बाद से कई साल मंडी में ही बच्चों के लिए लंगर लगाते रहे। वर्ष 2000 से उन्होंने पीजीआई के बाहर में लंगर लगाना शुरू कर दिया।

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