प्रशासन व यूनियन के बीच समझौते के बाद बिजली निजीकरण के खिलाफ चल रही हड़ताल समाप्त
चंडीगढ। आखिरकार कई नाटकीय घटनाओं के बाद प्रशासन और यूटी पावर मैन यूनियन के बीच समझौता होते बिजली निजीकरण खिलाफ हड़ताल समाप्त हो गई। आज रात से शहर भर में बिजली सप्लाई नियमित होने की पूरी उम्मीद है। हड़ताल के कारण बिजली सप्लाई बाधित होने के साथ पानी की सप्लाई भी बुधवार को नहीं हो पाई। यूनियन के आक्रामक होने के कारण प्रशासन का भी पसीना छूट रहा था कि यदि जल्द समझौता नहीं हुआ तो स्थिति और भी खराब हो सकती है। प्रशासन से हुई बातचीत के बाद हड़ताल खत्म करने का ऐलान कर दिया गया।
कर्मचारियों के राष्ट्रीय नेता सुभाष लांबा ने कहा कि हमने 5 साल में एक हजार करोड़ से ज्यादा प्रॉफिट दिया है। हमने प्रशासन से पूछा कि इसके बावजूद वह इसका निजीकरण क्यों कर रहे हैं। प्रशासन से भरोसा मिला है कि हड़ताल करने वाले किसी भी कर्मचारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। यह भी सहमति बनी कि जब तक यह मामला हाईकोर्ट में है, निजीकरण से जुड़ा कोई फैसला नहीं लिया जाएगा। इससे पहले इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। जिसमें बिजली विभाग के चीफ इंजीनियर ने एफिडेविट दिया कि शहर में आज रात 10 बजे तक पूरे इलाके में बिजली सप्लाई बहाल हो जाएगी। प्रशासन ने कहा कि शहर के 80% हिस्से में बिजली सप्लाई चालू हो चुकी है।
यूटी पावरमैन यूनियन चंडीगढ़ के महासचिव गोपाल दत्त जोशी व प्रधान ध्यान सिंह ने कहा कि पिछले 5 सालों से 150 करोड़ से 350 करोड़ तक मुनाफा कमा रहे बिजली विभाग को देश में सबसे महँगी बिजली बेचने वाली कोलकाता की एक निजी कम्पनी को बेचने पर क्यों तुली है। उन्होंने कहा कि चण्डीगढ़ में 100 प्रतिशत मीटरिंग सप्लाई है। लाइन लॉस केन्द्र सरकार के मानक 15 प्रतिशत से काफी कम 10 प्रतिशत से भी नीचे हैं। उन्होंने कहा कि बिजली विभाग को अच्छी सेवा के लिए अवार्ड दिये गये हैं। पिछले 5 साल से बिजली की दरें नहीं बढ़ाई गई है, बल्कि इस साल रेट घटाये हैं तथा बिजली की दर 150 युनिट तक 2.50 रूपये तथा अधिकतम 4.50 रूपये है। लेकिन ऐमीनेंट कम्पनी ( जिसे सरकार विभाग को बेच रही है) का 150 यूनिट तक का रेट 7.16 रूपये तथा 300 यूनिट से आगे 8.92 रूपये है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के निर्देश पर बिजली कानून- 2003 की धज्जियाँ उड़ाकर गैर कानूनी तरीके से बिजली विभाग निजी हाथों में बेचा जा रहा है, वह भी सबसे मंहगी बिजली बेचने वाली निजी कम्पनी को, जो सिर्फ 2 साल पहले अस्तित्व में आई है। यह शक के दायरे में भी है व समझ से बाहर भी है कि 20000-25000 करोड़ की अनुमानित सम्पत्ति सिर्फ 871 करोड़ में बेची जा रही है। बेचने से पहले मशीनरी, बिल्डिंग व जमीन की कीमत तय कर आडिट भी नहीं कराया।
निजीकरण के बाद तो ए.जी. का ऑडिट का प्रावधान भी खत्म हो जायेगा। उन्होंने कहा कि जब चंडीगढ़ बिजली विभाग का गठन हुआ तब 1 लाख 10 हजार के करीब कनेक्शन थे और 2200 कर्मचारी काम करते थे। आज 2.50 लाख के करीब कनेक्शन हैं और करीब 1000 कर्मचारी है, जिसमें भी करीब 400 ठेका कर्मचारी हैं। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में 66 केवी के 14 और 33 केवी के 5 सब स्टेशन तथा 2500 के करीब डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफर है। कनेक्शन दुगुने से भी ज्यादा और कर्मचारी आधे से भी कम होने के बावजूद रात दिन काम कर उपभोक्ताओं को 24 घंटे निर्बाध बिजली दी जा रही है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार व प्रशासन निजी कम्पनियों को जमीन व बिल्डिंग को 1 रूपये प्रति महीने किराये पर दिया जा रहा है, जो हास्यास्पद भी है। यह भी बड़ी हैरानी की बात है कि इतना बड़ा जनविरोधी फैसला लेने से पहले प्रशासन ने मुख्य हितधारकों विशेषकर कर्मचारियों व उपभोक्ताओं से जरूरी सुझाव व एतराज लेना भी उचित नहीं समझा। अरबों / करोड़ों की प्रोपर्टी को कोड़ियों के भाव निजी घरानों को लुटाया जा रहा है । जिसे बचाना हमारा अधिकार भी है व कर्तव्य भी है। उन्होंने कहा कि सरकार व प्रशासन के इस कदम से जहां जनता पर कई गुना महंगी बिजली का भार पड़ेगा व बिजली गरीब लोगों की पहुँच से दूर हो जायेगी।