बिजली निजीकरण के खिलाफ जनसमर्थन का दौर जारी, हार्टिकल्चर के सैकड़ों कर्मचारियों ने हड़ताल को दिया समर्थन
चंडीगढ़ । बिजली कर्मियों की 22 से 24 फरवरी की हड़ताल के समर्थन में एमसी हॉर्टिकल्चर वक्रर भी डट गये हैं। इस सम्बन्ध में आज हार्टीकल्चर बूथ सैक्टर 23 में रैली की गई। रैली को सम्बोधित करते हुए यूनियन के प्रधान हरकेश चन्द, महासचिव रघबीर चन्द, एम सुब्रहमण्यम, राम बख्स, साहन सिंह, सुभाष चन्द आदि ने केन्द्र सरकार व चण्डीगढ़ प्रशासन की कड़ी निन्दा करते हुए आरोप लगाया कि सरकार सस्ती बिजली देकर भी मुनाफा कमा रहे बिजली विभाग की करोड़ों की सम्पत्ति को कौड़ियों के भाव बेच रही है।
वक्ताओं ने कहा कि भारत सरकार व चण्डीगढ़ प्रशासन देश में सबसे सस्ती व 24 घंटे अबाधित बिजली देकर भी पिछले 5 सालों से 150 करोड़ से 350 करोड़ तक मुनाफा कमा रहे बिजली विभाग को देश में सबसे महँगी बिजली दे रही कोलकाता की एक निजी कम्पनी को बेचने पर क्यों तुली है। उन्होंने कहा कि जब चंडीगढ़ बिजली विभाग का गठन हुआ तब 1 लाख 10 हजार के करीब कनेक्शन थे और 2200 कर्मचारी काम करते थे। आज 2.50 लाख के करीब कनेक्शन हैं और करीब 1000 कर्मचारी है, जिसमें भी करीब 400 ठेका कर्मचारी हैं। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में 66 केवी के 14 और 33 केवी के 5 सब स्टेशन तथा 2500 के करीब डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफर है। कनेक्शन दुगुने से भी ज्यादा कर्मचारी आधे से भी कम होने के बावजूद रात दिन काम कर 24 घंटे निर्बाध बिजली दी जा रही है। चण्डीगढ़ में 100 प्रतिशत मीटरिंग सप्लाई है। लाइन लॉस केन्द्र सरकार के मानक 15 प्रतिशत से काफी कम 10 प्रतिशत से भी नीचे हैं। विभाग को अच्छी सेवा के लिए अवार्ड दिये गये हैं। पिछले 5 साल से बिजली की दरें नहीं बढ़ाई गई है, बल्कि इस साल रेट घटाये हैं तथा बिजली की दर 150 युनिट तक 2.50 रूपये तथा अधिकतम 4.50 रूपये है। लेकिन ऐमीनेंट कंपनी ( जिसे सरकार विभाग को बेच रही है) का 150 यूनिट तक का रेट 7.16 रूपये तथा 300 यूनिट से आगे 8.92 रुपये है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के निर्देश पर बिजली कानून- 2003 की धज्जियाँ उड़ाकर गैर कानूनी तरीके से बिजली विभाग निजी हाथों में बेचा जा रहा है, वह भी सबसे मंहगी बिजली बेचने वाली निजी कम्पनी को, जो सिर्फ 2 साल पहले अस्तित्व में आई है। यह शक के दायरे में भी है व समझ से बाहर भी है कि 20000-25000 करोड़ की अनुमानित सम्पत्ति सिर्फ 871 करोड़ में बेची जा रही है। बेचने से पहले मशीनरी, बिल्डिंग व जमीन की कीमत तय कर आडिट भी नहीं कराया। निजीकरण के बाद तो ए.जी. का ऑडिट का प्रावधान भी खत्म हो जायेगा। सरकार व प्रशासन निजी कंपनियों को जमीन व बिल्डिंग को 1 रुपये प्रति महीने किराये पर दिया जा रहा है, जो हास्यास्पद भी है। यह भी बड़ी हैरानी की बात है कि इतना बड़ा जनविरोधी फैसला लेने से पहले प्रशासन ने मुख्य हितधारकों विशेषकर कर्मचारियों व उपभोक्ताओं से जरूरी सुझाव व एतराज लेना भी उचित नहीं समझा। अरबों / करोड़ों की प्रोपर्टी को कोड़ियों के भाव निजी घरानों को लुटाया जा रहा है । जिसे बचाना हमारा अधिकार भी है व कर्त्तव्य भी है। उन्होंने कहा कि सरकार व प्रशासन के इस कदम से जहाँ जनता पर कई गुना महंगी बिजली का भार पड़ेगा व बिजली गरीब लोगों की पहुँच से दूर हो जायेगी।
अंत में सर्वसम्मत्ति से निजीकरण के खिलाफ आंदोलन को जन-आंदोलन बनाने का ऐलान करते हुए 15 फरवरी 2022 को सैक्टर 17 षिवालिक होटल के सामने विषाल धरना देकर प्रषासक को ज्ञापन देने का ऐलान किया गया तथा 22 फरवरी से 72 घंटे की हो रही हड़ताल को समर्थन देने का ऐलान किया गया।