बिजली निजीकरण के खिलाफ सैकड़ों कर्मचारी हड़ताल पर, शहर में ब्लैक आउट, स्थिति से निपटने में यूटी प्रशासन विफल

चंडीगढ। बिजली निजीकरण के चल रही हड़ताल के कारण शहर में ब्लैक आउट जैसे हालात हो गए हैं। मंगलवार को हजारों हड़ताली कर्मचारियों ने सेक्टर-17 स्थित शिवालिक व्यू के निकट कॉर्नर पर मोदी सरकार और प्रशासन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया है। साथ ही चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गई या फिर कर्मचारियों को धमकाने की कोशिश की गई तो 72 घंटे की हड़ताल को और भी बढ़ाया जा सकता है। हड़ताल के बाद ब्लैक आउट के बाद के हालात को निपटने में प्रशासन पूरी तरह से विफल रहा है। इसी को मद्देनजर रखते हुए हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए चीफ इंजीनियर और प्रशासनिक अधिकारियों को तलब कर लिया है।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ में पैदा हुए बिजली संकट का संज्ञान ले लिया है। हाईकोर्ट ने कल बिजली विभाग के चीफ इंजीनियर को बुलाया है। उनसे संकट से निपटने के लिए किए गए इंतजाम को लेकर पूछा जाएगा। वहीं पंजाब ने आउटसोर्स वाले कर्मचारी भेजने से इनकार कर दिया है। हरियाणा की तरफ से भी कोई जवाब नहीं मिला है। चंडीगढ़ में बिजली कर्मचारियों के निजीकरण के खिलाफ हड़ताल पर जाने के बाद आधे शहर की बिजली बंद है। इमरजेंसी सेवाओं पर भी बिजली संकट का खतरा मंडराने लगा है। इसके अलावा PGI भी अलर्ट पर है और पूरी स्थिति पर नजर रख रहा है।
चंडीगढ़ में बिजली संकट पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट से संज्ञान लेते हुए केस शुरु कर दिया है। जस्टिस अजय तिवारी और जस्टिस पंकज जैन की डबल बैंच ने कहा कि उनके ध्यान में आया है कि शहर के अधिकतर हिस्से में बिजली की सप्लाई नहीं है। ऐसे में हाईकोर्ट न्यायिक स्तर पर इस मामले को सुनने के लिए बाध्य हुआ है। हाईकोर्ट ने यूटी के सीनियर स्टैंडिंग कांउसिल से पूछा कि चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा शहर में बिजली सप्लाई को बनाए रखने के लिए उठाए जा रहे प्रबंधों की जानकारी दें।
सीनियर स्टैंडिंग कांउसिल अनिल मेहता ने बताया कि स्ट्राइक पर गए बिजली विभाग के कर्मियों द्वारा पावर सप्लाई को बाधित करने की वजह से शहर की बिजली व्यवस्था प्रभावित हुई है। इस संकट से निपटने के लिए यूटी प्रशासन ने पंजाब और हरियाणा के अफसरों से प्रार्थना भी की थी। इस पर पंजाब ने डेपुटेशन पर चंडीगढ़ में अपने कर्मचारी भेजने पर असमर्थता जाहिर की है। वहीं हरियाणा के जवाब के बारे में सुनवाई होने तक कोई जानकारी सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल के पास उपलब्ध नहीं थी।
हाईकोर्ट ने कहा कि बिजली की सप्लाई प्रभावित होने से न सिर्फ घरों में दिक्कत हो रही है, बल्कि अस्पतालों में भी समस्या खड़ी हो सकती है जहां पर मरीज वैंटिलेटर और अन्य लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर हो सकते हैं। इसके अलावा शहर में स्टूडेंट्स की ऑनलाइन परीक्षाएं और कक्षाएं भी चल रही हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि कई केसों में वर्चुअल सुनवाई भी हाईकोर्ट में प्रभावित हो रही है। वकीलों के ऑफिसों में बिजली नहीं है। ऐसे में वह सुनवाई के दौरान पेश नहीं हो पा रहे। ऐसे में बिजली सप्लाई का न होना बड़ा नुकसान कर सकती है।
ऐसे में हाईकोर्ट ने यूटी के चीफ इंजीनियर सीबी ओझा को 23 फरवरी को कोर्ट में पेश होने को कहा है। उन्हें कहा गया है कि वह इस समस्या से निपटने के लिए किए जाने वाले प्रयासों के बारे में जानकारी दें। मामले को चीफ जस्टिस की बेंच में आज सुने जाने के लिए कहा गया है ताकि वह उचित बैंच में 23 फरवरी के लिए केस को सुनवाई के लिए भेज सकें।

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