मजबूर पिता को इलाज के लिए गिरवी रखना पड़ा मोबाइल

झज्जर ।  एक तरफ जहां सरकार आयुष्मान योजना के लागू होने के बाद पूरे देश गरीबों को निशुल्क इलाज मुहैया कराए जाने के लंबे-चौडे़ दावे कर रही है वहीं इस योजना से आमजन व गरीब आदमी को कितना लाभ मिल रहा है इसकी बानगी झज्जर में एक तीन साल की मासूम को कुत्ते द्वारा काटने का मामला है। अपनी मासूम बेटी के इलाज के लिए मजबूर पिता को अपना मोबाइल फोन 2500 रुपये में गिरवी रख कर ही बाहर प्राईवेट दुकान से रेबिज का इंजेक्शन खरीदना पड़ा है। इंजेक्शन की कीमत बाहर दुकान पर 4500 रुपये थी और मजबूर पिता की जेब में केवल दो हजार रुपये थे। सरकारी अस्पताल में इंजेक्शन न मिलने के चलते ही मजबूर पिता को अपना मोबाइल गिरवी रखना पड़ा, जिसके बाद ही मासूम का इलाज हो पाया। मामला झज्जर के तलाब रोड पर स्थित धांधु नगर के सामने का है। यहां यूपी का रहने वाला खन्ना सिंह अपने परिवार के साथ एक अमरूद के बाग में मजदूरी का काम कर गुजर-बसर कर रहा है। खन्ना सिंह के मुताबिक उसकी तीन साल की मासूम गुंजन को आवारा कुत्तों ने मुंह पर काट खाया, जिसके इलाज के लिए वह झज्जर के सरकारी अस्पताल में गया। लेकिन वहां उसे मासूम के इलाज के लिए मामूली उपचार तो जरूर मुहैया कराया, लेकिन कुत्ते के काटने के लिए लगाया जाने वाला रेबिज का इंजेक्शन लगाने से साफ मना कर उन्हें रोहतक पीजीआई रेफर कर दिया। रोहतक में भी उन्हें दवाइयां व इंजेक्शन बाहर से खरीदना पड़ा। जब वह रेबिज का इंजेक्शन बाहर दुकान पर खरीदने के लिए गया तो उसकी जेब में केवल 2500 रुपये थे। जबकि इंजेक्शन की कीमत 4500 रुपये थी। उसे उसी समय 2500 रुपये में दुकानदार के यहां अपना मोबाइल गिरवी रख कर इंजेक्शन खरीदना पड़ा। बाद में उसने अपने दोस्त से रुपये उधार लेकर ही अपने गिरवी रखे मोबाइल को दुकानदार से छुड़वाया।जिला सिविल सर्जन आरएस पूनिया ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में है। उन्होंने इस मामले में विभाग के कामेंट मांगे है। जैसे ही कांमेट सामने आएंगे, उसके बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।

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