विधायकों की अवमानना अब संभव नहीं

विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने गठित की प्रोटोकॉल कमेटी

विशेषाधिकार के दायरे में नहीं आने वाले मामलों पर कार्रवाई करेगी समिति

विधायकों के फोन कॉल और संदेशों की अनदेखी नहीं कर सकेंगे अधिकारी

चंडीगढ़। हरियाणा में सरकारी अधिकारियों के लिए विधायकों की अवमानना करना अब संभव नहीं होगा। विधान सभा के अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने विधायकों की अनदेखी करने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए लोकसभा के पैटर्न पर विशेष कमेटी का गठन कर दिया है। विधान सभा के प्रक्रिया और कार्य संचालन संबंधी नियम-204 के तहत गठित यह कमेटी प्रोटोकॉल मानदंडों के उल्लंघन और सदस्यों के साथ सरकारी अधिकारियों के अवमानना व्यवहार की जांच के बाद कार्रवाई की अनुशंसा देगी। अम्बाला शहर से विधायक असीम गोयल कमेटी की अध्यक्षता करेंगे, जबकि रोहतक से कांग्रेस विधायक भारत भूषण बतरा, पानीपत शहर से प्रमोद विज, राई से विधायक मोहन लाल बडोली, बरवाला से जोगीराम सिहाग, फरीदाबाद से नरेंद्र गुप्ता, पृथला से नयन पाल रावत और सढौरा से रेणु बाला को बतौर सदस्य शामिल किया गया है।

गौरतलब है कि विधायकों के विशेषाधिकार की रक्षा के लिए विधान सभा में पहले से विशेषाधिकार समिति गठित है। गत कुछ वर्षों से विधायकों ने ऐसी शिकायतें की जिनमें उनकी अवमानना तो हुई, लेकिन ये मामले विशेषाधिकार के दायरे में नहीं आए। इसके चलते अनेक अफसर बच जाते हैं। ऐसे मामले में प्रभावी कार्रवाई के लिए विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने प्रोटोकॉल संबंधी विशेष कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी हरियाणा विधानसभा के सदस्यों के साथ आधिकारिक व्यवहार के संबंध में केंद्र व राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित प्रोटोकॉल मानदंडों के उल्लंघन संबंधी मामलों पर संज्ञान लेगी।

विधान सभा सचिवालय की ओर से वीरवार को जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि हरियाणा विधानसभा के सदस्यों से प्राप्त फोन कॉल या अन्य माध्यम से किए गए संचार को अनदेखा नहीं किया जा सकेगा। ऐसे संचार पर तुरंत ध्यान देकर बिना विलंब किए जवाब देना होगा। आधा-अधूरा जवाब देना भी प्रोटोकॉल का उल्लंघन माना जाएगा। हरियाणा विधानसभा के सदस्यों को उनके हलकों में होने वाले सार्वजनिक समारोहों में आमंत्रित न करना भी प्रोटोकॉल का उल्लंघन माना जाएगा। निमंत्रण पत्र में भी विधायकों के नाम का उल्लेख करना होगा। सदस्यों के पास निमंत्रण पत्र पहुंचने में देरी होने पर अधिकारी जिम्मेदार माने जाएंगे। इतना ही नहीं सार्वजनिक समारोह में उनके लिए बैठने की समुचित व्यवस्था भी करनी होगी। विधायकों द्वारा जनहित के मुद्दों पर संबंधित विभागों को की गई टेलीफोन कॉलों पर तत्काल ध्यान देना होगा।

कमेटी यह पुख्ता करेगी कि सरकार और हरियाणा विधानसभा के सदस्यों के बीच आधिकारिक व्यवहार के संबंध में केंद्र व राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों का न उल्लंघन हो। इस संबंध में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, कार्मिक- लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय की ओर से 1 दिसंबर, 2011 को जारी दिशानिर्देशों की पालना सुनिश्चित करनी होगी। सरकारी कामकाज के दौरान हरियाणा विधानसभा के सदस्यों के साथ सरकारी कर्मचारियों द्वारा अभद्र व्यवहार भी इसके दायरे में आएगा। अधिसूचना में कहा गया है कि इस कमेटी के संज्ञान में आने वाली शिकायतों की जांच के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया विशेषाधिकार समिति के समान होगी।

प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा दुर्व्यवहार या प्रोटोकॉल के उल्लंघन की किसी भी घटना के संबंध में विधायकों को विधान सभा के सचिव के नाम लिखित रूप में शिकायत देनी होगी। शिकायत के साथ सहायक दस्तावेजी साक्ष्य भी लगाने होंगे। शिकायत पर प्रथम दृष्टया अगर ऐसा लगता है कि प्रोटोकॉल मानदंडों के उल्लंघन का मामला बनता है, तो अध्यक्ष मामले को जांच और रिपोर्ट के लिए समिति को भेज सकते हैं। अध्यक्ष को इस पर निर्णय लेने के लिए मामले को सदन के समक्ष लाने की आवश्यकता नहीं है।

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