समाज के कमजोर वर्गों को नि:शुल्क और सक्षम कानूनी सेवाएं प्रदान करना मुख्य उद्देश्य: सीजेएम हिमांशु सिंह
भिवानी । जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के चेयरमैन तथा जिला एवं सत्र न्यायाधीश रमेश चंद्र डिमरी के निर्देशानुसार आजादी के अमृत महोत्सव के तहत शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में कानूनी जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। शिविरों के माध्यम से समाज के कमजोर वर्गों को नि:शुल्क और सक्षम कानूनी सेवाएं प्रदना मुख्य उद्द्श्य है।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी हिमांशु सिंह ने बताया कि जागरूकता शिविरों में जिले के शहरी एवं ग्रामीणों क्षेत्रों में पीएलवी व सक्षम युवाओं द्वारा राष्ट्रीय लोक अदालत के बारे में, नालसा, हालसा, डालसा के द्वारा दी जाने वाली जरूरतमंदों को सहायता के बारे में विस्तार से जानकारी दी जा रही है। उन्होंने बताया कि समाज के कमजोर वर्गों को नि:शुल्क और सक्षम कानूनी सेवाएं प्रदान करना और यह सुनिश्चित करना कि आर्थिक या अन्य अक्षमताओं के कारण कोई भी नागरिक न्याय हासिल करने से वंचित न रहे। विवादों के सौहार्दपूर्ण निपटाने के लिए लोक अदालतों का आयोजन किया जाता है।
सीजेएम ने बताया कि समाज के कमजोर और हाशिये के वर्गों के अधिकारों के बारे में विधिक जागरूकता पैदा करना, सामाजिक न्याय मुकदमा आदि का उपक्रम करना। सामरिक और निवारक विधिक सेवा कार्यक्रमों के माध्यम से नालसा की योजनाओं और नीतियों को लागू करना। एडीआर सेंटर के फं्रट ऑफिस के माध्यम कोई भी व्यक्ति जो कि नि:शुल्क सहायता प्राप्त करने का इच्छुक हो, वह एक सादे कागज पर प्रार्थना पत्र दे सकता है। नियमानुसार विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा मुफ्त कानूनी सलाह और सहायता प्राप्त कर सकते है। मुफ्त विधिक सहायता के हकदार व्यक्तियों की श्रेणियों में महिलाएं, बच्चे, एससी/एसटी, जो व्यक्ति हिरासत में हो, औद्योगिक कामगार, आपदा के शिकार और मानसिक बीमारी से पीडि़त, दिव्यांग व्यक्ति शामिल है। सिविल और अपराधिक मामलों में पैनल अधिवक्ता गण के माध्यम से अदालतों और न्यायाधिकारणों के सामने विधिक प्रतिनिधित्व प्रदान करना है।