सिविल अस्पताल में घंटो लाइन में जाया जा रहे मरीजों के, पर्ची बनाने वाला स्टाफ व कंप्यूटर बढ़ाने की मांग,
डेराबस्सी । डेराबस्सी सिविल अस्पताल में इन दिनों मरीजों के लिए ईलाज से पहले ओपीडी की पर्ची बनवाना किसी जद्दोजहद से कम नहीं । लंबी लंबी कतारों में बारी के इंतजार में उनके घंटो तक जाया हाे रहे हैं। नजदीक पास बैठने का बंदोबस्त भी नहीं है। ऐसे में मरीजों की बढ़ती तादाद व ऑनलाइन कंप्यूटराइज्ड पर्ची में लगने वाले समय के कारण मरीज व उनके तीमारदार कतारों में खड़े रहने को मजबूर हैं। लोगों की मांग है कि उन्हें राहत देने के लिए ऑनलाइन पर्ची बनाने वाला स्टाफ व कंप्यूटर बढ़ाए जाएं।
अस्पताल के आंगन के सामने एक छोटे से कमरे में पर्ची बनाने के लिए खिड़की है। खिड़की के आगे सुबह से ही मरीजों की लम्बी लाइन लग जाती है। बीमार के लिए लाइनों में खड़े रहना मुश्किल तो है ही, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए और भी कष्टदायक है। इस के साथ ही यहाँ टैस्ट की फीस जमा करवाने के लिए भी एक ही खिड़की है। वहां भी काफ़ी भीड़ रहती है। यही हाल लैब का है। यहां रोजाना 500 से 700 मरीज ओपीडी के लिए आते हैं। इस अस्पताल में आए मरीज़ इधर उधर भटकते फिरते रहते हैं और उन्हें अपना इलाज करवाने के लिए उनकी पीड़ा और बढ़ जाती है। आम आदमी पार्टी की सरकार ने सेहत व शिक्षा पर सर्वाधिक फोकस कर सुधार करने के दावे तो किए हैं परंतु अभी तक सुधार कागजी ही साबित हो रहा है।
अस्पताल की एसएमओ डॉ संगीता जैन ने फिर अस्पताल में तंग जगह का हवाला दिया। उन्होंने बताया कि करीब पांच महीने से ईलाज से पहले मरीज का कार्ड बनाने के लिए ऑनलाइन कंप्यूटर पर उसका डाटा एंटर किया जाता है। एंट्री के बाद कार्ड व पर्ची का प्रिंट आउट अलग से होता है। इसी पर्ची व कार्ड से ही एक्सरे समेत लैब टेस्ट की स्वीकृति मिलती है। एक कमरे में दो लोग कंप्यूटर पर डाटा एंट्री कर पर्ची तैयार करते हैं। कमरे में और कंप्यूटर व स्टाफ लगाने की जगह ही नहीं बचती। हालांकि इमरजेंसी व ओपीडी की पुरानी पर्ची पर एंट्री मैन्यूल होती है परंतु सोमवार व मंगलवार को अक्सर लोगों की भीड़ ज्यादा होती है। कोरोना का खौफ कम होने से अस्पताल में आने जाने वालों की तादाद भी बढ़ गई है। बीडीपीओ कार्यालय में अतिरिक्त जगह दिलाने का एमएलए रंधावा जी ने भरोसा दिया है, वही इस समस्या का अल्टीमेट समाधान है।