वैश्विक कंपनी विप्रो के विरुद्ध श्रम विभाग ने दायर की याचिका
गुवाहाटी । वैश्विक कंपनी विप्रो के विरुद्ध असम के श्रम विभाग ने एक याचिका दायर की है। आरोप है कि विप्रो ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के काम का ठेका लिया था, लेकिन ठेका के समय उसने श्रम विभाग से कोई अनुमति नहीं ली थी। इसके चलते श्रम विभाग ने कामरूप (मेट्रो) के सीजेएम अदालत में एक याचिका दायर किया है।
बताया गया है कि एनआरसी के डाटा अपडेट के काम में नियोजित कर्मचारियों के वेतन में कई तरह की विसंगतियां भी सामने आई थीं। इसको देखते हुए श्रम विभाग ने अदालत में विप्रो के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई है। वर्ष 2017 में श्रम विभाग के सामने यह आरोप लगाया गया था कि विप्रो ने एनआरसी का ठेका लेते समय श्रम विभाग से कोई अनुमति नहीं ली थी। बिना अनुमति के ही विप्रो ने राज्य में व्यवसाय किया।
श्रम विभाग ने आरोपों की तथ्यात्मक जांच के बाद विप्रो के विरुद्ध कामरूप (मेट्रो) सीजेएम अदालत में एक याचिका दायर की है। केवल अनुमति लेने की बात ही नहीं है। विप्रो के विरुद्ध एनआरसी के काम में नियोजित नौ हजार डाटा एंट्री ऑपरेटरों के वेतन में भी कई तरह की विसंगतियां होने की शिकायत श्रम विभाग को मिली थी।
आरोपों के अनुसार विप्रो ने एनआरसी प्रबंधन से एक डाटा एंट्री ऑपरेटर के नाम पर 14,500 रुपये चार्ज करता था, जबकि डाटा एंट्री ऑपरेटर को 5,050 रुपये ही दिया जाता था। श्रम विभाग ने इस मामले की भी जांच शुरू की है। श्रम विभाग ने आगामी 14 अक्टूबर के भीतर एनआरसी और विप्रो से सभी साक्ष्यों को पेश करने का निर्देश दिया है। श्रम आयुक्त कार्यालय ने डाटा एंट्री ऑपरेटर के वेतन के नाम पर करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार होने का संदेह जताया है। इस मामले में भी संभवतः श्रम विभाग अलग से एक याचिका दाखिल करेगा। इसकी स्वीकारोक्ति मीडिया के साथ बातचीत करते हुए श्रम आयुक्त नारायण कोंवर की है।
 
                                         
                                         
                                         
                                        