उड़ान ‘4.0’ के तहत बोली लगाने के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र में होंगे 30 हवाई अड्डे
 प्राथमिकता वाले सेक्टरों के लिए अतिरिक्त वीजीएफ की पेशकश 
नई दिल्ली ।  पूर्वोत्तर क्षेत्र की कनेक्टिविटी पर फोकस करते हुए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने ‘उड़ान 4.0’ स्कीम के तहत देश के पूर्वोत्तर राज्यों में कम हवाई सेवाओं वाले 6 एयरपोर्ट और बिना हवाई सेवाओं वाले 24 एयरपोर्ट/हवाई पट्टियों के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं। 
मंत्रालय ने इस क्षेत्र में एक वाटर एयरोड्रोम स्थल की भी पहचान की है, जिसके लिए बोलियां आमंत्रित की जानी हैं। इस क्षेत्र को हवाई कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। इस कदम से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि इस क्षेत्र का आर्थिक परिदृश्य भी बेहतर हो जाएगा। ‘उड़ान 4.0’ स्कीम के तहत नागरिक उड्डयन मंत्रालय एयरलाइनों को लगभग 25 प्रतिशत का अतिरिक्त वीजीएफ (वायबिलिटी गैप फंडिंग या कम पड़ रही राशि का इंतजाम) भी उपलब्ध करा रहा है। 
पूर्वोत्तर क्षेत्र में ‘उड़ान 4.0’ स्कीम के तहत बोली के लिए उपलब्ध हवाई अड्डों का उल्लेख नीचे किया गया है :- बोली लगाने के लिए बिना हवाई सेवाओं वाले एयरपोर्ट/हवाई पट्टियों की सूची: o अरुणाचल प्रदेश – अलिन्या, एलंग, दापारिजो, मेचुका, तुतिंग, विजयनगर, वालोंग, यिंगहिओंग, जिरो o असम-चबुआ, दारंग, दिन्जन, लेदो, मीसा मारी, नाजिरा, सादिया, सोरभोग, सुकेरेटिंग (दम दमा) o मेघालय – द्वारा, शेल्ला, तुरा o त्रिपुरा – कैलाशहर, कमालपुर, खोवाई बोली लगाने के लिए कम हवाई सेवाओं वाले एयरपोर्ट/हवाई पट्टियों की सूची: o अरुणाचल प्रदेश – पासिघाट और तेजू o असम – जोरहाट, रूपसी, तेजपुर o मेघालय व शिलांग 
बोली लगाने के लिए वाटर एयरोड्रोम की सूची: असम – उमरंगसो जलाशय  
एयरलाइनों को अन्य प्रोत्साहन : नागरिक उड्डयन मंत्रालय वीजीएफ (वाइएबिलिटी गैप फंडिंग) का 90 प्रतिशत भार और पूर्वोत्तर राज्यों की सरकारें शेष 10 प्रतिशत भार को वहन करेंगी। आरसीएस (क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना) उड़ानों के लिए आरसीएस हवाई अड्डों पर चुनिंदा एयरलाइन ऑपरेटरों द्वारा लिये जाने वाले एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) पर केवल 2 प्रतिशत की दर से ही उत्पाद शुल्क लगेगा। अधिसूचना की तारीख से लेकर तीन वर्षों तक यह सुविधा रहेगी। अधिसूचना की तारीख से लेकर 10 वर्षों की अवधि तक राज्य के अंदर अवस्थित आरसीएस रियायत वाले हवाई अड्डों पर एटीएफ पर देय वैट को घटाकर एक प्रतिशत या उससे भी कम के स्तर पर ला दिया जाएगा। आरसीएस रियायत वाले हवाई अड्डों के विकास के लिए आवश्यकता पड़ने पर न्यूनतम भूमि नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा आवश्यकता पड़ने पर अंदरूनी इलाकों के लिए मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी (सड़क, रेल, मेट्रो, जलमार्ग इत्यादि) सुलभ कराई जाएगी। 
आरसीएस रियायत वाले हवाई अड्डों पर सुरक्षा एवं अग्निशमन सेवाएं नि:शुल्क मुहैया कराई जाएंगी। आरसीएस रियायत वाले हवाई अड्डों पर अत्यधिक रियायती दरों पर बिजली, जल एवं अन्य उपयोगी सेवाएं या तो प्रत्यक्ष रूप से अथवा समुचित साधनों के जरिये मुहैया कराई जाएंगी। प्राथमिकता वाले क्षेत्रों (केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख और जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पूर्वोत्तर राज्य, केन्द्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप और अंडमान एवं निकोबार) में आरसीएस उड़ानों के परिचालन के लिए उड़ान 4.0 के तहत वीजीएफ सीमा बढ़ा दी गई है। योजना के तहत छोटे विमान (20 से अधिक सीटों वाले) के लिए वीजीएफ सीमा को बढ़ा दिया गया है। 
आरसीएस उड़ानों के शुभारंभ की तिथि से लेकर तीन वर्षों की अवधि तक आरसीएस उड़ानों के लिए वीजीएफ मुहैया कराया जाएगा। 
आरसीएस उड़ानों के प्रचार-प्रसार के लिए राज्य सरकारें अपने विवेक के अनुसार कोई भी अतिरिक्त सहायता (जैसे कि विपणन या मार्केटिंग संबंधी मदद) देने पर विचार कर सकती हैं।  
एयरपोर्ट/वाटर एयरोड्रोम/हेलीपैड ऑपरेटरों द्वारा पेशकश की गई रियायतों का उल्लेख नीचे किया गया है :- एयरपोर्ट/वाटर एयरोड्रोम/हेलीपैड ऑपरेटर आरसीएस उड़ानों पर कोई लैंडिंग चार्ज एवं पार्किंग चार्ज या इस तरह का कोई अन्य प्रभार नहीं लेंगे, जिसमें एएसएफ/यूडीएफ प्रभार भी शामिल हैं। चुनिंदा एयरलाइन ऑपरेटरों को अपनी आरसीएस उड़ानों के लिए ग्राउंड हैंडलिंग संबंधी कार्यकलाप करने की अनुमति होगी। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) अपनी पहल के तहत आरसीएस उड़ानों पर किसी भी तरह का टर्मिनल नैविगेशन लैंडिंग चार्ज नहीं लगाएगा। 
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण आरसीएस उड़ानों पर सामान्य दरों के 42.50 प्रतिशत के रियायती रेट से मार्ग-निर्देशन और सुविधा शुल्क (आरएनएफसी) लेगा। o नागरिक उड्डयन मंत्रालय का उद्देश्य अगले पांच वर्षों में 1,000 रूटों या मार्गों और 100 से भी अधिक हवाई अड्डों को परिचालन में लाना है। प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में विभिन्न रूटों को परिचालन में लाने पर फोकस करने से ही यह संभव हो पाएगा। 
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) भविष्य में बगैर किसी विशेष सुविधा वाले हवाई अड्डों के विकास पर फोकस करेगा और वीजीएफ देने के लिए इस तरह के हवाई अड्डों को आपस में कनेक्ट करने वाले रूटों को प्राथमिकता दी जाएगी। केवल कम दूरी वाले ऐसे मार्गों को विकसित करने के लिए संबंधित बाजार को प्रोत्साहन दिया जाएगा, जो निकटवर्ती हवाई अड्डों को कनेक्टिविटी प्रदान करेंगे। 
 
                                         
                                         
                                         
                                        