विभिन्न मांगों को लेकर सीटू व अन्य कर्मचारी संगठनों ने प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया
चंडीगढ़। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों तथा अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी फैड़रेशन के आह्वान पर आज सीटू से संबधित विभिन्न यूनियनों, सार्वजनिक क्षेत्र यूनियनों तथा कर्मचारी फैड़रेशन के आह्वान पर हजारों कर्मचारियों ने हड़ताल कर सैक्टर 17 ब्रिज मार्किट में विशाल रैली का आयोजन किया। रैली में एलआईसी, जीआईसी, यूटी तथा एमसी के कर्मचारी, जलप्रबंधन, पीएसआईसी, पीएसआईडीसी, डाकघर, सड़क, बागबानी, जल सप्लाई, बिजली, नगर निगम, भारतीय बाल कल्याण परिषद तथा अन्य संगठनों के हजारों कर्मचारी शामिल हुए। रैली की अध्यक्षता सीटू आगु कुलदीप सिंह, फैड़रेशन के प्रधान रघबीर चन्द, एलआईसी के राजीव सहगल व अमरीक सिंह आधारित प्रधानगी मण्डल ने की। मंच का संचालन सीटू के प्रधान गुरदीप सिंह ने किया।
रैली को सीटू के पंजाब महासचिव चन्द्र शेखर, फैड़रेशन ऑफ यूटी इम्पलाईज एंड वर्करज के महासचिव गोपाल दत्त जोशी, पंजाब स्टेट एक्पोर्ट कार्पोरेशन के तारा सिह, एलआईसी के किरनदीप सिंह, जीआईसी के मनजीत सिंह, वाटर सप्लाई के राजिन्द्र कटोच, बिजली के सुखविन्द्र सिंह, हॉर्टीकल्चर के हरकेश चन्द, एमसी मनीमाजरा के नसीब सिंह, इंडियन काऊसिल के बिहारी लाल, एडवा की आशा राणा, सीटू चण्डीगढ़ के महासचिव दिनेश प्रसाद, कमिन्द्र वालिया, रामआधार आदि ने संबोधित किया।
रैली को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने केन्द्रीय ट्रेड यूनियन द्वारा प्रमाणित 12 सूत्री मांग पत्रों की विस्तार में चर्चा की तथा कहा कि यह हड़ताल सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण रद्द करवाने, नैशनल मोनिटाईजेशन पाईप लाईन रद्द करने, 2004 के बाद भर्ती कर्मचारियों पर पुरानी पैंशन बहाल करने, न्यूनतम मजूदरी में वृद्धि कर कम से कम वेतन 26000 रूपये करने, डेली वेज वर्कचार्ज कान्ट्रेक्ट आउटसोर्स समेत सभी प्रकार के कच्चे कर्मचारियों को पक्के करने तथा पक्के होने तक बराबर काम बराबर वेतन लागू करने, मनरेगा कर्मचारियों की वेतन में वृद्धि करने, सभी स्कीम कर्मचारियों को मजदूर की श्रेणी में शामिल करने, सरकारी तथा अर्द्ध-सरकारी विभागों में खाली पड़ी पोस्टों को नियमित तौर पर भरने आदि मांगों को लागू करने पर जोर देते हुए केन्द्र सरकार के कर्मचारी व मजदूर विरोधी नितियों की कड़ी आलोचना की।
रैली में विशेष प्रस्ताव पास कर चण्डीगढ़ में बिजली कर्मचारियों पर ऐसमा लगाने की तिखी निन्दा की तथा सरकार को इस काले कानून को रद्द करने की मांग करते हुए कर्मचारियों पर दर्ज मुकदमे वापिस लेने, शोकॉज नोटिस रद्द करने, सस्पैंड किये कर्मचारियों को बहाल करने तथा निकाले गये कान्ट्रैक्ट कर्मचारियों को तुरंत नौकरी पर बहाल करने की मांग की गई।