राजभवन में श्रीराम कथा का हुआ भव्य समापन, दान छुपकर करना चाहिए छापकर नहीं :विजय कौशल महाराज

चंडीगढ़। पंजाब राजभवन में चल रही श्री राम कथा के सातवें व अंतिम दिन आज सैकड़ों की संख्या में लोगों ने श्री राम कथा सुनी। पंजाब राज भवन में पहली बार आयोजित निरन्तर सात दिवसीय श्री राम कथा का आज भव्य समापन हुआ। इस ऐतिहासिक कथा को सुनने के लिए हरियाणा, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और गुजरात समेत चार राज्यों के राज्यपाल तथा पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्री मुख्य अतिथि के तौर पर अलग-अलग दिन पहुंचे और सभी ने सराहना करते हुये इस सफल कार्यक्रम का श्रेय पंजाब के राज्यपाल व प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित को दिया।

प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित ने कथाव्यास संत श्री विजय कौशल जी महाराज का धन्यवाद करते हुए कहा कि उन्होंने सात दिन लगातार राजभवन में ज्ञान की गंगा बहाई है। ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे हम सब त्रेता युग, द्वापर युग और सत युग में विचर रहे हों। उन्होंने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति 5000 वर्षों से भी पुरानी। हमारी संस्कृति को नष्ट करने के बहुत प्रयत्न किए गये। लेकिन इतनी पुरानी संस्कृति होने के बावजूद आज भी हमारी संस्कृति कायम है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति इसलिए कायम रही क्योंकि यह धर्म पर आधारित है। राज्यपाल बनवारीलाल ने इस सात दिवसीय कथा का अनुभव को अद्भुत बताया और कहा कि श्री विजय कौशल जी महाराज वशिष्टमुनि के समान हमें जिन्होंने हमें इतना ज्ञान दिया जिसे सुनकर हम अपने आप को बहुत ही सौभाग्यशाली मानते हैं। उन्होंने कहा कि रामायण बहुत बड़ा ग्रंथ है। जितनी भी हमारी मार्यादाएं हैं उसकी शिक्षा हमें रामायण से ही मिलती हैं। श्री राम कथा सुनकर हमारा राजभवन राममय हो गया है। सैंकड़ों की संख्या में लोगों ने इस कथा का आनंद उठाया। जिन्होंने भी इस कथा का श्रवण किया वे सभी पुण्य के भागी हैं और उन सभी के जीवन में सकारात्मक बदलाव जरूर आएगा। उन्होंने सभी की सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगा।

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