कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीडऩ की रोकथाम अधिनियम, 2013 के अंतर्गत तुरंत कार्यवाही की जाएगी: सीजेएम कपिल राठी

भिवानी। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के चेयरमैन तथा जिला एवं सत्र न्यायाधीश दीपक अग्रवाल के निर्देशानुसार व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव एवं सीजेएम कपिल राठी की अध्यक्षता में एडीआर सेंटर के सभागार में कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीडऩ की रोकथाम (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 पर एक बैठक का आयोजन किया गया।
प्राधिकरण की पैनल अधिवक्ता अनुराधा खगनवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि महिलाओं की सुरक्षा व कार्यस्थल पर होने वाले यौन दुव्र्यहार व उत्पीडऩ को रोकने के मद्देनजर कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीडऩ कानून 2013 मे पारित किया गया था। उन्होंने कहा कि जिन संस्थाओं में दस से अधिक लोग काम करते हैं और उनके साथ महिलाकर्मी भी है, तो ऐसी संस्थाओं में इस अधिनियम के अंतर्गत यौन उत्पीडऩ रोकने बारे व महिला सुरक्षा के लिए कमेटी का गठन करना आवश्यक है।
पैनल अधिवक्ता ने अधिनियम की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि जिन संस्थाओं में महिलाएं पुरुषों के साथ कार्य कर रही हैं ऐसी जगहों पर कोई पुरुष महिला को उनकी इच्छा के खिलाफ छूना या छूने की कोशिश करना, किसी जूनियर को प्रमोशन का प्रलोभन दे कर शारीरिक रिश्ता बनाने के लिए कहना, अश्लील बातें करना, अश्लील तस्वीरें, फिल्में या अन्य सामग्री दिखाना, अश्लील वीडियो भेजना इत्यादि घटनाएं कार्यस्थल पर होने पर महिला के साथ यौन उत्पीडऩ कहलाता है। महिला इसकी शिकायत अपने संस्थान के प्रमुख या पुलिस को लिखित रुप से कर कर सकती है। इस अधिनियम के अंतर्गत ठोस कार्रवाई की जा सकती है। इस अधिनियम के अंतर्गत दोष सिद्ध होने पर पुरुष अधिकारी व कर्मचारी को दंडित व नौकरी से बर्खास्त भी किया जा सकता है।
डीएलएसए स्टाफ की अध्यक्षता कर रहे प्राधिकरण के सचिव एवं सीजेएम कपिल राठी ने बताया कि डीएलएसए में इस अधिनियम के अंतर्गत कमेटी का गठन किया हुआ है। किसी भी महिला कर्मचारी व अधिकारी को अगर इस संबध मे कोई शिकायत है तो वह तुरंत लिखित रूप में दे सकती है। इस अधिनियम के अंतर्गत पुरुष अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ विभागीय व कानूनी कार्यवाही की जाएगी। इस अवसर पर डीएलएसए व पीएलए के सभी अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।

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