टीबी का मरीज समय पर दवाई लेकर हमारा सहयोग करें: डॉ. रघुवीर शांडिल्य
भिवानी। स्थानीय चौ. बंसीलाल सामान्य राजकीय हस्पताल में टीबी के मरीजों को एनजीओ और सामाजिक संस्थाओं द्वारा टीबी के मरीजो को पौष्टिक आहार वितरीत किया गया। इस दौरान करीबन 20 टीबी के मरीजों को सिविल सर्जन डॉ. रघुवीर शांडिल्य ने पौष्टिक आहार किट वितरीत की।
इस दौरान सिविल सर्जन डॉ. रघुवीर शांडिल्य ने बताया कि विभाग द्वारा जिले की एनजीओ व सामाजिक संस्थाओं से आह्वान किया गया कि वे टीबी के मरीजों को गोद लेकर उनको जरूरत अनुसार पौष्टिक आहार किट उपलब्ध करवाएं ताकि टीबी के मरीज को ज्यादा पौष्टिक आहार समय पर मिल सके तथा उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता अधिक हो सके जिससे उनके स्वास्थ्य में जल्द सुधार होगा। उन्होने बताया कि शिव शक्ति चैरीटेबल ट्रैस्ट, रायचन्द सिंगला, देवराज महता व नरेश गर्ग की संस्थाओं द्वारा विभाग को पूर्ण सहयोग मिल रहा है तथा उनके द्वारा समय-समय पर टीबी के मरीजों को पौष्टिक आहार किट दी जा रही है। इसी कड़ी में मंगलवार को इनके द्वारा करीब 35 पौष्टिक आहार की किट टीबी के मरीजों के लिए दी गई तथा सामान्य हस्पताल में आए टीबी के मरीजों को यह किट वितरीत भी की गई।
सिविल सर्जन ने बताया कि टीबी की बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति का रोजगार भी रूक जाता है तथा उसके परिवार को भी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। टीबी की बीमारी वाले मरीज से नफरत ना करें बल्कि उस व्यक्ति को समय पर टीबी की दवाई व समय पर पौष्टिक आहार लेने के लिए प्रेरित करें। हस्पताल में आए टीबी के मरीजों को सिविल सर्जन ने कहा कि हम आपका समय पर दवाई देकर, समय पर चैकअप करके सहयोग करेगेें वही आप सभी से यह उम्मीद रखते है कि आप भी समय पर दवाई लेकर, समय पर पौष्टिक आहार लेकर हमारा सहयोग करें।
उन्होंने बताया कि टीबी रोग एक बेहद ही खतरनाक फेफड़ो का रोग है, लेकिन यह दिमाग, गर्भाशय के अतिरिक्त शरीर के किसी भी भाग में हो सकता है। यह बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण फेफड़े सहित रक्त प्रवाह के साथ शरीर के अन्य भागों में भी फैलता है। यह हड्डियों के जोड़, आंत, मूत्र व प्रजनन तंत्र के अंग, त्वचा और मस्तिष्क के उपर की झिल्ली आदि में भी हो सकता है। यदि टीबी को प्रारंभिक अवस्था में ही ना रोका गया तो टीबी जानलेवा भी साबित हो सकता है। सांस लेते समय टीबी के बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर जाते है। यह बैक्टीरिया किसी रोगी के खांसने से, बात करने, छींकने, थूकने और मुंह खोलकर बोलने की वजह से बैक्टीरिया के रूप में कई घंटो तक हवा में रहते है। जब कोई स्वस्थ व्यक्ति सांस लेता है, तो उसके शरीर में प्रवेश करके यह रोग उत्पन्न करता है। टीबी के बैक्टीरिया धूल में भी मौजूद होते है, जिसमें रोगी की लार, नाक, थूक आदि मिली रहती है। संक्रमित पानी तथा भोजन से भी ये मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाते है। सिविल सर्जन ने बताया कि हम सब की यह जिम्मेवारी भी बनती है कि टी.बी के मरीजो को प्रेरित करे कि वे भी समय पर दवाई ले, समय पर खाना खाएं, व्यायाम करे तथा साथ अपने आस पास साफ सफाई का भी ध्यान रखेगें तो वे भी हमारी तरह टी.बी की बीमारी को दुर भगा सकते है क्योकिं यह बीमारी ऐसी नही है कि जिससे हम लडाई लडके इसको भगा न सके।
उप सिविल सर्जन डॉ. सुमन विश्वकर्मा ने बताया कि टीबी के मरीजों के लिए निक्षय मित्र अभियान चलाया जा रहा है जिसके तहत जिले की एनजीओ व सामाजिक संस्थाओं से अपील की जा रही है कि वे इस अभियान में टीबी के मरीजों को गोद लेकर अपना सहयोग करें जिसके कारण सभी के सहयोग से जिले मेे आने वाले समय मे कोई भी टीबी का मरीज नहीं रहेगा क्योंकि ये संस्थांए व स्वास्थ्य विभाग मिलकर सभी टीबी के मरीजों को समय पर दवाई लेने बारे तथा टीबी की बीमारी के प्रति अन्य लोगों को जागरूक करने के लिए प्रेरित करेगें तो हमे पूर्ण विश्वास है कि हम टीबी को जल्द से जल्द समाप्त कर सकते है। उन्होने बताया कि अगर काई भी टी.बी का मरीज अपना पूरा ध्यान नही रखता है या खांसते या छिंकते समय मुंह पर कपडा नही रखता है तो वह व्यक्ति 10 से 15 व्यक्तियों को टी.बी को मरीज बना सकता है इसलिए टी.बी के मरीज को यह भी ध्यान रखना है कि वह खांसते या छिंकते समय मुंह पर कपडा अवश्य रखे। उन्होने बताया कि टीबी के लक्षण जैसे खांसी होना, खांसी में बलगम आना, साथ ही बलगम में खून भी आ सकता है। टीबी से ग्रस्त होने पर भूख कम लगती है वही व्यक्ति को सुस्ती, थकान और कभी-कभी रात में पसीना आना, हल्का बुखार बना रहना आदि लक्षण है। दो हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डॉक्टर को दिखाएं। दवा का पूर्ण कोर्स नियमित तौर पर लें। आमतौर पर बीमारी खत्म होने के लक्षण दिखने पर मरीज को लगता है कि वह ठीक हो गया है और ईलाज रोक देता है इसलिए डॉ. से बिना पूछे दवा बन्द ना करें। उन्होने बताया कि टीबी के मरीज को प्रतिमाह 500 रूपए भी सरकार द्वारा दिये जाते है। इस अवसर पर उप सिविल सर्जन डॉ. नवीन घोष, डॉ. रश्मि सहित अन्य स्टाफ मौजूद था।