भारत के गौरवशाली इतिहास के अतीत को वर्तमान पीढ़ी तक पहुंचाना है हमारा सामुहिक दायित्व
स्वर्णिम इतिहास रखता है हमारे सामने समाज के आचार-विचार, शासन पद्धति आदि का सुंदर चित्र
पुरात्विक एवं ऐतिहासिक मिश्रण के प्रमाणों को पेश करेगा किया जा रहा शोध
शोध हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग
शोध के कार्यों में युवा वर्ग को आगे आकर काम करने की जरूरत :- राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय
डॉ. भीम राव अंबेडकर कॉलेज में चल रहे महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्यातिथि राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने की शिरकत–महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय का सत्र चल रहा है डॉ. भीम राव अंबेडकर कॉलेज में
कैथल। हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि भारत के गौरवशाली इतिहास को वर्तमान पीढ़ी तक वैदिक और पुरातन दृष्टिकोण से पहुंचाना हमारा सामुहिक दायित्व है। भारतीय समाज का इतिहास स्वर्णिम रहा है। स्वर्णिम इतिहास हमारे सामने समाज के आचार-विचार, शासन पद्धति आदि को सुंदर चित्र पेश करता है। महर्षि वाल्मीकि संस्कृति विश्वविद्यालय में किया जा रहा शोध पुरात्विक एवं ऐतिहासिक के के मिश्रण प्रमाणों को पेश करने का कार्य करेगा। शोध हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है। शोध के कार्यों को लेकर लोगों विशेषकर युवा वर्ग को आगे आकर काम करने की जरूरत है। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय डॉ. भीम राव अंबेडकर में महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय एवं भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पुरातात्विक एवं साहित्यिक साक्ष्यों के आलोक में भारतीय इतिहास का पुनरवलोकन विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। राज्यपाल ने सेमिनार में स्मारिक पुस्तक का विमोचन किया। इस मौके पर त्रिनिदाद एवं टोबैगो के हाई कमिश्नर डॉ. रोजर गोपाल, सांसद नायब सिंह सैनी, वाईस चांसलर प्रो. रमेश चंद भारद्वाज, प्रो. एआर चौधरी आदि मौजूद रहे। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि शोध से विद्यार्थियों, आचार्यों के साथ-साथ शैक्षणिक क्षेत्र में नई दृष्टि मिलेगी। आजादी के अमृत महोत्सव में हम सभी को ऐतिहासिक घटनाओं, महापुरूषों से सीख लेकर देश की अखंडता के लिए कार्य करने का प्रण लेना होगा और विकास का रोड मैप तैयार करना होगा। वर्तमान पीढ़ी को इतिहास से रूबरू करवाना जरूरी है। हम सभी को इतिहास का ज्ञान होना बहुत जरूरी है। इतिहास ही सच्चा शिक्षक है। वर्तमान समय में शिक्षा विदों के सामने बहुत बड़ी चुनौती है। अभी तक हम 19वीं सदी के विचारों पर आश्रित रहें और उसी का इतिहास हमें पढ़ाया जाता रहा है। आज समय की मांग है कि वर्तमान परिवेश के अनुसार सभी को इतिहास का ज्ञान होना जरूरी है। पुरात्तन और वैदिक शास्त्रों में समाहित सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को वर्तमान परिवेश में पिरोते हुए आगे बढ़ाने की जरूरत है, ताकि वर्तमान और भावी पीढ़ी नैतिक और सामाजिक मूल्यों की सीख लेकर सभ्य समाज की संरचना में अपना सहयोग देती रहे। उन्होंने कहा कि सरस्वती नदी के पुर्नोद्धार व उसकी धारा को बहाने की दिशा में प्रदेश सरकार द्वारा कार्य किया जा रहा है, जोकि सराहनीय है। उन्होंने महर्षि संस्कृति विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे सेमिनार पर प्रशंसा जाहिर करते हुए कहा कि कोई भी शोध व सेमिनार प्रमाणिकता पर आधारित होना चाहिए। यह शोध वास्तिक तथ्यों को उजागर करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा। विगत 7 वर्षों में महाद्वीप पर खुदाईयों के दौरान भारतीय संस्कृति के अलग-अलग साक्ष्य प्राप्त हुए हैं, जोकि दर्शाते हैं कि भारत का इतिहास स्वर्णिम रहा है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों और मुगलों ने भारतीय संस्कृति को नुकसान पहुंचाया है। आज युवा पीढ़ी को शोध के क्षेत्र में आगे आना होगा, जिससे सभी को वास्तविकता का पता चलेगा। हमारा मुख्य उद्देश्य हमारी प्राचीन संस्कृति को सहेजते हुए वर्तमान संस्कृति को पुष्पित और पलवित करना है। महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय अभी शिशू काल में है, परंतू आने वाले समय में यह विश्वविद्यालय शोध के क्षेत्र में नई पहचान बनाकर उभरेगा। इस मौके पर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे छात्र-छात्राओं से बातचीत भी की। वाईस चांसलर प्रो. रमेश चंद भारद्वाज ने कहा कि कैथल की पावन धरा वैदिक संस्कृति से जुड़ी हुई है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने लवकुश तीर्थ पर महर्षि वाल्मीकि विश्वविद्यालय बनाने के दृष्टिगत हमारी पुरातन और वैदिक सोच को आगे बढ़ाने का काम किया है। यह देश का 18वां संस्कृत विश्वविद्यालय है। महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय केवल डिग्रियां देने का काम नहीं करेगा, बल्कि शोध केंद्र के रूप में भी विकसित करेगा। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि शोध पीठ स्थापित करके उनसे जुड़े साहित्य को यहां पर स्थापित करने का काम किया जाएगा। हमारी भारतीय संस्कृति रामायण से जुड़ी हुई है और महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित महाकाव्य रामायण आदि ग्रंथ हैं। हरियाणा में मिले पुरात्व साईटस में भी वैदिक समाज के प्रमाण मिलते हैं। इस मौके पर त्रिनिदाद एवं टोबैगो के हाई कमिश्नर डॉ. रोजर गोपाल, सांसद नायब सिंह सैनी, वाईस चांसलर प्रो. रमेश चंद भारद्वाज, प्रो. एआर चौधरी,
. संजीव शर्मा, डॉ. संजय मंजूल, प्रो. भाग सिंह बोदला, डॉ. जगत नारायण, संदीप चौधरी, प्रो. मोहन चंद, डॉ. रवि भूषण, एडवोकेट साकेत मंगल, श्याम सुंदर बंसल, भीम सैन अग्रवाल, रोहन मित्तल, आदित्य भारद्वाज, मुनीष कठवाड़, जिला प्रशासन की ओर से पुलिस अधीक्षक मकसूद अहमद, एसडीएम संजय कुमार, डीआईपीआरओ धर्मवीर सिंह, डीईओ शमशेर सिरोही, सचिव रामजी लाल आदि मौजूद रहे।