संस्कृत का स्वरूप पूर्णत:वैज्ञानिक : शास्त्री

सम्भाषण शिविर के समापन पर पहुंचे हरियाणा संस्कृत अकादमी के निदेशक

भिवानी। हरियाणा संस्कृत अकादमी द्वारा स्थानीय विवेकानन्द सभागार में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत संस्कृत सम्भाषण शिविर के समापन पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में हरियाणा संस्कृत अकादमी के निदेशक डॉ. दिनेश शास्त्री बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस दौरान संस्कृत छात्रों को प्रमाण-पत्र भी वितरित किए गए।
हरियाणा संस्कृत अकादमी के निदेशक डॉ. दिनेश शास्त्री ने कहा है कि संस्कृत हमारे देश की प्राचीनतम भाषा है। अपने सार्वभौमिक गुणों के कारण इसका महत्व सदा बरकरार रहेगा। सभी प्राचीन ग्रंथ और चारों वेद संस्कृत में हैं। यह भारत राष्ट्र की एकता का आधार है। इसे जितना अपनाओगे उतना ही जीवन सार्थक होगा। एक माह तक चलने वाले इस शिविर में 50 से अधिक छात्रों ने संस्कृत सम्भाषण की शिक्षा ग्रहण की। शिविर समापन पर छात्रों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा का जो रूप आज मिलता है, वही एक हजार वर्ष पूर्व था। संस्कृत का स्वरूप पूर्णत: वैज्ञानिक है। इसका व्याकरण पूर्णत: तार्किक और सुपरिभाषित है। उन्होंने कहा कि भिवानी को छोटी काशी का दर्जा प्राप्त है। संस्कृत के प्रचार-प्रसार में यहां का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इस दौरान अनेक संस्कृत विद्वान मौजूद रहें।

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