अशोक नादिर की पुस्तक ‘चलो ज्योति का रथ लेकर’ का विमोचन और त्रिभाषीय मुशायरा हुआ आयोजित
पंचकूला: प्रसिद्ध शायर अशोक नादिर की पुस्तक ‘चलो ज्योति का रथ लेकर’ का आज विमोचन व् त्रिभाषीय मुशायरा जिमखाना क्लब सैक्टर-6 पंचकूला में आयोजित हुआ | कार्यक्रम में पंचकूला, चंडीगढ़ व् मोहाली के जाने माने कवियों ने शिरकत की | कार्यक्रम के मुख्या अतिथि प्रतिष्ठित शायर श्री सिरी राम ‘अर्श’ , अध्यक्षता बी.डी. कालिया ‘हमदम’ और के.के. शारदा , मुख्य वक्ता के रूप में कविवर प्रेम विज उपस्थित थे | पुस्तक के लेखक अशोक नादिर ने पुस्तक के बारे में बताया कि 120 पृष्ठों की पुस्तक में 99 नज़्में हैं | सभी नज़्में करोना बिमारी के मुताल्लिक़ हैं |
इस पुस्तक में इस बिमारी से बचने के उपाय , डरना नहीं हौंसला रखना है विषय पर और सरकार के साथ मिल जुल कर कैसे बचा जा सकता है , इन सब पहलुओं पर अलग अलग नज़्मों के ज़रिये बताया है | पुस्तक के बारे में बोलते हुए अशोक नादिर ने फ़रमाया :
ढूंढ लें किस्मत अँधेरे में पड़ी मिल जाएगी
बस अंधेरों में चिरागों को जलाते जाइये
हराया है करना को तो योद्धाओं से मिलकर ही
जो था विश्वास संग उनका समर्पण था तो अद्भुत ही
ये भीषण जंग है ये हौंसले से जितनी होगी
नमन करते हैं दिल से रूप हैं वो तो खुदा का ही
पुस्तक पर बोलते हुए कविवर प्रेम विज ने कहा कि ‘कोविड एक भयानक बिमारी है जो बुरी तरह से घातक है, उसने पूरे विश्व में डर और भय का माहौल पैदा कर दिया था | इस पर पूरी पुस्तक छन्द बद्ध लिखना बहुत मुश्किल कार्य है जो नादिर जी ने पिछले 2 वर्ष में पूरा किया और इस पुस्तक की विशेषता है कि हर नज़्म में नादिर जी ने पाठक का साहस बढ़ाया है |
सिरी राम ‘अर्श’ ने कहा, ये पुस्तक 2.5 वर्षों का इतिहास है | और इस पुस्तक में सामाजिक मुद्दे को उठाया गया है जो कि बहुत सराहनीय है और नादिर जी बहुत मुबारक के हक़दार हैं | बी.डी. कालिया ‘हमदम’ ने पुस्तक पर अपने विचार रखे और नादिर जी की लेखनी की बहुत सराहना की |