विपक्ष की आपत्तियों के बीच सूचना अधिकार कानून में संशोधन से जुड़ा विधेयक पेश

नई दिल्ली । सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में सूचना का अधिकार कानून में संशोधन से जुड़ा विधेयक पेश किया। विपक्षी सांसदों ने विधेयक को पेश किए जाने का विरोध किया और बाद में इस पर मतविभाजन भी हुआ।

केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने विधेयक को पेश किए जाने पर विपक्ष की आपत्तियों का जवाब देते हुए कहा कि मूल कानून बनाते समय तात्कालीन सरकार ने जल्दबाजी की थी, जिसके चलते विधेयक में कई विसंगतियां हैं। विधेयक में सरकार को इससे जुड़े नियम बनाने का आधिकार भी नहीं दिया गया था। नए विधेयक से सरकार सूचना पाना आसान बनाएगी।

जितेन्द्र सिंह ने कहा कि उनकी सरकार ने पिछले पांच साल में सूचना के अधिकार कानून को अधिक सशक्त बनाया है। उनकी सरकार ने आरटीआई को ऑनलाइन किया। खुद से सूचना सार्वजनिक करने की प्रक्रिया अपनाई । उन्होंने विपक्ष की इन आपत्तियों को खारिज कर दिया कि सरकार सूचना आयुक्तों के वेतन और भत्तों में परिवर्तन करने जा रही है। सिंह ने कहा कि सूचना आयोग एक वैधानिक निकाय है और वह आगे भी बना रहेगा।

सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2019 को पेश किए जाते समय ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी की ओर से मतविभाजन की मांग की गई। मतविभाजन के समय कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस (एनसीपी), तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक और बीजू जनता दल के नेताओं ने सदन से वाकऑउट किया। मतविभाजन में विधेयक को पेश किए जाने के पक्ष में 224 और विपक्ष में 9 वोट पड़े।

विधेयक पेश करते समय अधीर रंजन चौधरी ने सूचना अधिकार कानून में संशोधन को खतरनाक और मौलिक अधिकारों का हनन बताया। उन्होंने कहा कि सूचना आयोग की स्वतंत्रता को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। तृणमूल कांग्रेस नेता सौगत राय ने कहा कि विधेयक को जांचने का अनुरोध करते हुए इसे स्थाई समिति को भेजे जाने का अनुरोध किया। जबकि कांग्रेस नेता शशि थरूर ने विधेयक को आरटीआई हटाओ विधेयक की संज्ञा दी है।

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