आंतरिक मामलों में बाहरी हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करेगा भारत : वेंकैया

नई दिल्ली । उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि भारत अपने आंतरिक मामलों में किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की सुरक्षा, संरक्षा और अखंडता से कोई समझौता नहीं हो सकता है। उपराष्ट्रपति ने सोमवार को यहां उपराष्ट्रपति निवास में इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित कौटिल्य फेलोशिप प्रोग्राम (केएफपी) में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन का उद्देश्य क्षेत्र को विकास की मुख्यधारा में शामिल करना है। आतंकवाद को पूरी मानवता के लिए खतरा बताते हुए उन्होंने कहा कि इसका कोई धर्म नहीं होता है। भारतीय विदेश नीति तथा लोक नीति पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत वसुधैव कुटुम्बकम के दर्शन में विश्वास करता है और वह पूरी दुनिया को एक परिवार मानता है। इसी के चलीते भारत ने कभी भी किसी देश पर हमला नहीं किया। भारत हमेशा अपने सभी पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में विश्वास करता है। नायडू ने कहा कि वैश्विक आर्थिक मंदी के बावजूद भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। उन्होंने कहा कि यदि सुधारों की श्रृंखला उसी गति से जारी रही तो वह तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। वेंकैया ने कहा कि कौटिल्य फैलोशिप प्रोग्राम, हमारे भू राजनैतिक संदर्भों में भारतीय विदेश नीति, उसके उद्देश्यों तथा देश के लोकतांत्रिक निकायों के अध्ययन का अवसर प्रदान करती है। कौटिल्य जिनके नाम पर यह फेलोशिप प्रारंभ की गई है, उन्होंने 8000 श्लोकों की विशद संहिता “अर्थशास्त्र” की रचना की जिसमें राजनय के 180 आयामों पर गंभीर टिप्पणी की गई है जो आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा कि कौटिल्य ने एक शक्तिशाली लोक हितकारी राज्य की अवधारणा रखी, जिसका आधार “प्रजा सुखे सुखे राज्यम्, प्रजानाम तु हिते हितम” अर्थात प्रजा के सुख में ही राजा का सुख है और प्रजा के हित में ही उसका हित है। इस मौके पर इंडिया फाउंडेशन के न्यासी बोर्ड के सदस्य वाइस एडमिरल शेखर सिन्हा, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य राम माधव और कौटिल्य फेलोशिप कार्यक्रम के 100 से अधिक प्रतिभागी मौजूद थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published.