कोरोना में जब कोई बाहर नहीं निकला तब राठी परिवार ने किया था रक्तदान
पंचकूला। रक्तदान का महत्व उसे ही पता है, जिसके किसी अपने को कभी रक्त की जरुरत पड़ी हो। ऐसे ही कई लोग हैं, जो संकट के समय रक्तदान करने के लिए तैयार रहते हैं। उनमें से एक नाम राठी परिवार का भी आता है। समाजसेवी सुरेंद्र राठी अपने परिवार के साथ समय-समय पर रक्तदान करते हैं। कोरोना काल में सुरेंद्र राठी ने उस समय अपने पूरे परिवार के साथ रक्तदान किया, जब कोई अपने घर से बाहर नहीं निकलता था। सुरेंद्र राठी बताते हैं कि हमें पीजीआई से मैसेज आया कि रक्त की कमी है और पीजीआई में कई लोगों को रक्त की जरुरत है। जिसके बाद राठी ने अपनी पत्नी रीना राठी से बात की, वह तैयार हो गईं। सुरेंद्र अपने बेटे दिग्विजय राठी और बेटी सोनल राठी सहित लगभग 30 साथियों को लेकर पीजीआई पहुंचे और वहां जाकर रक्तदान किया। सुरेंद्र राठी अब तक 37 बार रक्तदान कर चुके हैं। सुरेंद्र राठी ने पहली बार 1988 में अपने कॉलेज में रक्तदान किया था उसके बाद लगातार रक्तदान करते रहे उनको सराहनीय काम के लिए पीजीआई के डायरेक्टर विवेक लाल व सुचेत सचदेव ने सम्मानित किया। बता दें कि करोना काल में सुरेंद्र राठी ने गांव-गांव और मोहल्ले-मोहल्ले जाकर आक्सीजन मीटर बांटे और ऑक्सीजन जांच केंद्र खुलवाएं और दूसरे अजय गुप्ता जो कि समाइल फॉरएवर के प्रेसिडेंट हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी में 104 बार रक्तदान किया और 277 ब्लड डोनेशन कैंप लगवाएं। महामारी में भी उनकी मेहनत और लग्न के बल पर रक्तदान का क्रम जारी रहा।