*गूगल री-रूटिंग में छिपा निःस्वार्थ मदद का सार….- अतुल मलिकराम*

चंडीगढ़ । रोबोट स्क्वैयर से महेश्वर जाने के लिए मैंने जैसे ही गूगल मैप पर लोकेशन डाली, डायरेक्शन पर क्लिककरते ही काली स्क्रीन पर नीले रंग की लम्बी-सी लाइन मेरे मोबाइल में आ गई। बस फिर क्या था, उसलाइन पर नज़र आ रहे एरो के निशान के साथ-साथ मैं चल पड़ा, जो कहीं न कहीं सैटेलाइट से प्रदर्शित होतामेरा ही प्रतिबिम्ब था।
मुझे गाड़ी चलाने के दौरान कोई परेशानी न हो और बार-बार मोबाइल न देखना पड़े, इसके लिए पीछे बैठकरसाथ जा रहे रास्ता बताने वाले किसी व्यक्ति की तरह एक लड़की की खूबसूरत आवाज़ मुझे मेरी मंजिल कारास्ता बताने लगी। एक कान में ब्लूटूथ की बड लगाकर मैं किशोर दा के गाने सुनते हुए अपनी ही धुन मेंचला जा रहा था, कि आवाज़ आई, ‘जस्ट टेक द राइट टर्न फ्रॉम कमिंग स्क्वैयर’, जिस पर मेरा ज़रा भीध्यान नहीं था। फिर क्या, मैंने लेफ्ट टर्न ले लिया, और अचानक गुर्राई आवाज़ में बदलती वह खूबसूरतआवाज़ कहती है, ‘मुर्ख मानव, मैंने जो कहा, क्या वह सुना नहीं? जब मेरी सुनना ही नहीं था, तो मदद मांगीही क्यों? जा अब खुद ढूंढकर पहुँच अपनी मंजिल पर।’
उपरोक्त कथित बातें बेतुकी-सी प्रतीत हो रही होंगी? है ना…. लेकिन यह सत्य है। मदद की भावना से कोसोंदूर जा चुका मानव अब अभिवृत्ति और अहम् की चकाचौंध में खो गया है। ज़रा गंभीरता से इस बात परविचार करके देखना कि यदि हमारी छोटी-सी गलती पर गूगल मैप ठीक इसी तरह भड़क पड़े, तो क्या हो?यदि सच में ऐसा होने लगे, तो पूरी संभावना है कि हम इसका उपयोग करना ही बंद कर दें। लेकिन गूगलऐसा नहीं करता है, वह तो केवल री-रूट करता है। यदि आप भटक भी गए, तो आपको अपनी मंजिल तकपहुँचाने का अगला सबसे अच्छा रास्ता दिखाता है। कथनार्थ यह है कि इसकी प्राथमिक रुचि आपको अपनेलक्ष्य तक पहुँचाने में है, न कि आपकी गलती पर बुरा महसूस कराने में।
यह एक बहुत अच्छा सबक है…. अपनी निराशा और क्रोध को उन लोगों पर उतारना आसान है, जिन्होंनेगलती की है। विशेष रूप से उन लोगों पर, जो हमारे करीबी और परिचित हैं। लेकिन सबसे अच्छा विकल्पसमस्या से उबारने में मदद करना है, दोष देना नहीं। तो क्यों न हम भी गूगल मैप की तरह सकारात्मक रहेंऔर एक बड़ा बदलाव अपने भीतर लाने का सार्थक प्रयास करें?
स्नेह से समझाई गई बात का असर, नाराज़गी जताने से कई गुना अधिक होता है। हम यह क्यों भूल जातेहैं, कि आखिर वह भी इंसान ही है। मानवता के भाव को प्रखर रखते हुए अपने री-रूटिंग के क्षणों को जीवितरखें, फिर देखें, आप किस तरह अपनों के सबसे करीब हो जाते हैं। तो अब से अपनों के लिए गूगल मैप बनें,उन सभी लोगों का ख्याल रखें, और उन्हें जीवन रुपी मंजिल के आसान रास्तों से अवगत कराएं, जिनकेलिए आप मायने रखते हैं।

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