*फाॅस्वेक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके चंडीगढ़ की ज्वलंत समस्याओं का समाधान न करने पर अधिकारियों और पार्षदों पर जताई नाराजगी,

कहा आने वाले नगर निगम के चुनावों में जनता देगी जवाब*
चंडीगढ़ । फेडरेशन ऑफ सैक्टर वेल्फेयर एसोसिएशनस ऑफ चंडीगढ़ (फाॅस्वेक) द्वारा सैक्टर 35 में प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई और चंडीगढ़ की प्रमुख समस्याओं के समाधान हेतु कोई ठोस कदम न उठाने के लिए अधिकारियों और पार्षदों को जिम्मेदार ठहराया। फाॅस्वेक के चेयरमैन बलजिंदर सिंह बिट्टू ने कहा कि चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के मकानों में रहने वाले 60 हजार से अधिक परिवार हर वक्त डर के साए में जीते हैं कि कब हाउसिंग बोर्ड के कर्मचारी उनका मकान तोड़ने के लिए आ जाएं। उन्होंने कहा कि मकानों में आवश्यकता के अनुसार किए गए बदलावों को नियमित किया जाना महज चुनावी मुद्दा बनकर रह गया है। एक के बाद दूसरी कमेटी बना दी जाती है परंतु लोगों के पक्ष में कभी फैसला नहीं लिया जाता। बिट्टू ने कहा कि यदि लोगों द्वारा जरूरत के हिसाब से किए गए बदलावों से इमारत की स्थिरता पर असर नहीं पड़ता और न ही सरकारी जमीन पर कोई अतिक्रमण है तो ऐसे बदलावों को दिल्ली पैटर्न के अनुसार नियमित किया जाना चाहिए क्योंकि समय के अनुसार लोगों की के परिवार बढ़े हैं और उस हिसाब से जरूरतें भी।
फाॅस्वेक के महासचिव जे.एस. गोगिया ने कहा कि चाहे चंडीगढ़ के सौंदर्यीकरण की बात हो या सड़कों के रख-रखाव की या घरों से कूड़ा एकत्रित करने की, नगर निगम अपने हर कार्यक्षेत्र में पूरी तरह से असफल रहा है। ऊपर से पानी की 3 गुना तक बढ़ाई गई दरें जले पर नमक छिड़कने के समान हैं। नगर निगम ने चंडीगढ़वासियों को 24 घंटे पानी उपलब्ध करवाने के नाम पर 500 करोड़ रुपए का ऋण तो ले लिया परंतु यह नहीं सोचा कि चंडीगढ़ में 24 घंटे ताजे पानी की सप्लाई देने की आवश्यकता है भी या नहीं। इस कर्ज से बचने के विकल्प भी नहीं ढूंढे गए जबकि नगर निगम अनावश्यक कार्यों में करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रहा है।
फाॅस्वेक के मुख्य प्रवक्ता और सैक्टर 38 वैस्ट आर.डब्ल्यू.ए. के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने कहा कि डड्डू माजरा स्थित डंपिंग ग्राउंड से उठते विषाक्त प्रदूषण और असहनीय दुर्गंध के कारण आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोग नारकीय जीवन जीने के लिए मजबूर हैं और गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। इसके लिए सीधे तौर पर चंडीगढ़ प्रशासन और नगर निगम के अधिकारी व पार्षद जिम्मेदार हैं। यहां से गंदगी के पहाड़ को हटाने के नाम पर करोड़ों रुपए के टेंडर पास किए गए परंतु यह पहाड़ दिन-प्रतिदिन सुरसा के मुंह की तरह बढ़ता ही जा रहा है। गार्बेज प्रोसेसिंग प्लांट को न चला पाना भी नगर निगम की एक बड़ी विफलता है। पंकज गुप्ता ने अधिकारियों और पार्षदों को कहा कि वे एक रात के लिए डड्डू माजरा कॉलोनी में रहें तो उन्हें लोगों के दर्द का एहसास होगा। यदि ट्रांसपोर्ट चौक पर एयर प्यूरीफायर लगाया जा सकता है तो डड्डू माजरा में क्यों नहीं जबकि यहां के लोग साफ हवा में सांस लेने के लिए तरस रहे हैं।
फाॅस्वेक की चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड कमेटी के कन्वीनर और सैक्टर 39 आर.डब्ल्यू.ए. के अध्यक्ष अमरदीप सिंह ने कहा की चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड मकानों को लीज-होल्ड से फ्री-होल्ड करने के नाम पर अएलाटीज से लाखों रुपये लेता है जो सरासर गलत है और गरीबमार है। चंडीगढ़ में हाउसिंग बोर्ड बनाने का मकसद यह था कि निम्न और मध्यम वर्गीय लोगों को कम कीमतों पर रहने के लिए मकान मिलें परंतु जिन ऊंची कीमतों पर हाउसिंग बोर्ड फ्लैट निकालता है तो उसके बनाने का औचित्य ही क्या रह जाता है। यदि हाउसिंग बोर्ड ने प्राइवेट बिल्डर की तरह ही भारी मुनाफा कमाना है तो उसे सरकारी रियायतें देने का क्या मतलब है।
फाॅस्वेक के वित्त सचिव डॉ. जगपाल सिंह ने कहा कि स्मार्ट सिटी बनाने के नाम पर चंडीगढ़वासियों पर टैक्स पर टैक्स लगाए जा रहे हैं और सुविधाओं के नाम पर उन्हें कुछ नहीं दिया जा रहा। एक आम आदमी के लिए चंडीगढ़ में जीवन-यापन करना बहुत मुश्किल हो गया है। ऊपर से बिजली का निजीकरण करने के लिए भी प्रशासन तैयार बैठा है।
फाॅस्वेक ने चंडीगढ़ प्रशासन, हाउसिंग बोर्ड और नगर निगम को चेतावनी दी कि यदि लोगों कि समस्याओं का शीघ्र ही हल नहीं निकाला गया तो फाॅस्वेक द्वारा शहर में जगह-जगह आंदोलन किए जाएंगे। चेयरमैन बिट्टू ने सभी चंडीगढ़वासियों से अपील की कि वे आने वाले नगर निगम के चुनावों में ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ लोगों को पार्षद के तौर पर चुनें, भले ही वे किसी भी राजनैतिक दल से हों क्योंकि राजनीति में अच्छे लोग आएंगे तो चंडीगढ़ का भी विकास होगा।

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