प्राइवेट कॉलोनी विकास बिल्ट मार्ट ने स्टाम्प पेपर में की थी 63 लाख की चोरी

फतेहाबाद । हिसार रोड पर एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के डिवेल्पर द्वारा जमीन की रजिस्ट्री में स्टांप चोरी के एक मामले में हिसार मंडल आयुक्त विनय कुमार की अदालत ने  63 लाख रुपये की स्टांप चोरी भरने का फैसला सुनाया है। कंपनी के डिवेल्पर ने भूमि को एमओयू के द्वारा मात्र 100 रुपये की फीस भरकर जमीन अपने नाम करवा ली थी। ऐसे ही 250 कनाल की 8 रजिस्ट्रियां होने का मामला सामने आया था। इसकी शिकायत सुशील बिश्रोई एडवोकेट ने सीएम से की थी।
6 जनवरी 2017 को फतेहाबाद न्यू टाउन, उचाना न्यू टाउन व सिरसा न्यू टाउन के मार्फत धांगड़ निवासी रामकिशन ने विकास बिल्ट मार्ट प्राइवेट लिमिटेड के दिल्ली निवासी अशोक कुमार के नाम 250 कनाल भूमि का एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टेंडिंग) करवा ली थी। यह अलग-अलग 8 रजिस्ट्रियां हुई थी, जिनमें 7 एमओयू मात्र 100 रुपये तथा एक 10 रुपये में करवाया गया था। मुख्यमंत्री को दी शिकायत में एडवोकेट सुशील बिश्नोई ने बताया था कि पूर्व में ऐसे एमओयू होते आए थे। लेकिन इस तरह के काफी गड़बड़झाले को देखते हुए अक्तूबर 2013 में स्टांप एक्ट संशोधन कर एमओयू की जगह रजिस्ट्री करनी लागू कर दी थी। यानि जो डिवेल्पर कॉलोनी को डिवेल्प करेगा उसे भी कलेक्टर दरों पर रजिस्ट्री फीस अदा करनी होगी।
बिश्रोई ने अपनी शिकायत में बताया था कि तत्कालीन तहसीलदार नवजोत कौर ने नियमों के विपरीत जाकर एमओयू करके रजिस्टरी की असल बिल्डर को दे दी और उसकी फोटोस्टेट को इंपाउंड कर तत्कालीन एसडीएम के पास भेज दिया और एडवाइज मांगी कि ई-दिशा में स्टांप कम लगा है, स्टांप फीस निर्धारित करके तहसील कार्यालय को बताया जाए। एसडीएम ने भी इस रजिस्टरी को यह कहकर रिलीज कर दिया कि स्टांप नियमों के अनुसार लगा हुआ है। इसके बाद शिकायतकर्ता 27 जून 2018 को हिसार मंडल आयुक्त की अदालत में गया व बताया कि तहसीलदार ने एसडीएम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करनी थी, जो नहीं की। हिसार मंडल के आयुक्त ने फतेहाबाद के उपायुक्त को निर्देश दिए कि वह तहसीलदार को आदेश करके रजिस्टरी के खिलाफ अपील दायर करवाएं।
7 सितम्बर 2018 को तहसीलदार विजय मेहता ने इस रजिस्ट्री के खिलाफ कमिश्रर की अदालत में अपील डाली। 11 जून को फतेहाबाद में लगी कमिश्रर की अदालत में कमिश्रर ने फैसला सुनाया कि विकास बिल्ड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की 250 कनाल भूमि का एमओयू नियमों के अनुसार नहीं है। इसकी रजिस्ट्री कलेक्टर दरों के अनुसार स्टांप फीस 63 लाख रुपये बनती है। जिसे कंपनी को अदा करना होगा।उल्लेखनीय है कि एडवोकेट सुशील बिश्रोई ने तत्कालीन तहसीलदार नवजोत कौर पर 1 करोड़ 49 लाख रुपये की स्टांप फीस चोरी करने के आरोप लगाए थे और इसी मामले में तहसीलदार नवजोत कौर चार्जशीट है। ज्ञात रहे कि मंगलवार को उपायुक्त ने इस कॉलोनी को अवैध बताते हुए आमजन से अनुरोध किया था कि वह कॉलोनी में बिना जांच किए प्लाट न खरीदें। उपायुक्त के अनुसार कंपनी ने महानिदेशक नगर योजना विभाग से लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं करवाया, जोकि 9 मार्च तक वैध था। 
गुरुवार को फतेहाबाद सरजीत सिंह नैन ने बताया कि विकास बिल्ड मार्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की 8 रजिस्ट्रियों में स्टांप फीस कलेक्टर रेट से कम भरी गई थी। इस पर कमिश्रर की अदालत ने 63 लाख रुपये भरने के आदेश दिए थे। जिसे कंपनी ने 2 दिन पहले तहसील कार्यालय में अदा कर दिया है।  

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