एनसीआर में बढ़ता जलसंकट खतरे की घंटी
फरीदाबाद । फरीदाबाद, गुरुग्राम, नूंह व पलवल में प्रतिदिन जल संकट बढ़ता जा रहा है। यहां मांग के अनुसार भूजल उपलब्ध नहीं है। दिल्ली जल बोर्ड ने वर्ष 2002 में ही इस संकट पर सवाल उठा दिए थे। बोर्ड ने अप्रैल 2002 में एक याचिका सुप्रीमकोर्ट में दायर कर पूरे एनसीआर में खनन कार्याें पर रोक लगाने की मांग की थी। अपनी दलील के पक्ष में भूजल बोर्ड ने कई साईटिफिक्ट प्रमाण भी दिए थे, जिस पर 6 मई 2002 को सुप्रीमकोर्ट के मुख्य जस्टिस कृपाल सिंह ने हरियाणा के तीनों जिलों में खनन कार्याे पर रोक लगा दी थी। बाद में फरीदाबाद के कुछ पहाड़ी क्षेत्रों में पत्थर खनन के पट्टे तो दिए गए परंतु बदरपुर का सिल्का सैंड का खनन कार्य पूरी तरह से रोक दिया गया। बाद में पत्थर खनन पर भी रोक लगा दी गई ताकि इस क्षेत्र का भूजल और नीचे न जाए परंतु माईनिंग विभाग के अधिकारियों व पुलिस की मदद से अवैध खनन जारी रहा और भूजल का स्तर यहां लगातार गिरता रहा। वर्ष 2016 में नगर निगम द्वारा बनाए गए करीब 175 वाटर हारवेस्टिंग रखरखाव के अभाव से खराब पड़े है। नगर निगम के अधीक्षक अभियंता डीआर भास्कर का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है, अगर वाटर हारवेस्टिंग ठीक नहीं है तो उन्हें ठीक करवाया जाएगा।