कांग्रेस घास से होगा बायोएथेनाॅल का उत्पादन, अनुसंधान परियोजना के लिए 20 लाख स्वीकृत

चंडीगढ़ । देश में अन्न उत्पादन को ग्रहण लगा रही कांग्रेस घास अब उपयोगकारी साबित होगी।  इससे न केवल खरपतवार खत्म होंगे, बल्कि की ईंधन की उपलब्धता भी बढ़ेगी। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. नीरज कुमार ने कांग्रेस घास से बायोएथेनॉल उत्पादन तैयार करने का प्रोजेक्ट तैयार किया है। इसे आगे बढ़ाने के लिए हरियाणा सरकार ने अनुसंधान परियोजना के तहत करीब 20 लाख रुपये मंजूर किए हैं।
डॉ. नीरज के शोध के मुताबिक देश में 40 मिलियन हेक्टेयर में कांग्रेस घास पांव पसार चुकी है। यह आंकड़ा वर्ष 2018 का है। कांग्रेस घास को दुनिया के सबसे विनाशकारी खरपतवारों में गिना जाता है।  शोध के मुताबिक कांग्रेस घास का ज्यादा प्रभाव बंजर भूमि, सिंचाई वाले स्थानों नहरों और तालाबों के किनारे, सड़कों, रेलवे ट्रैक, कोयला खानों, बढ़ते आवासीय क्षेत्रों पर देखा जा सकता है। फसल उत्पादन पर भी कांग्रेस घास विपरीत असर डालती है। डॉ. नीरज का कहना है कि कांग्रेस घास मानव जीवन के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।  इससे त्वचाशोथ, घास का बुखार, ब्रोंकाइटिस और अस्थमा होता है। मानव जीवन के साथ पशुओं के स्वास्थ्य को भी कांग्रेस घास नुकसान पहुंचा रही है। कांग्रेस घासयुक्त चारा खाने से पशुओं की त्वचा में सूजन और आंतों में अल्सर हो जाता है। इस घास में प्राकृतिक रूप से मौजूद पार्थेनिन विष के साथ दूध का क्षय होता है। 
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. नीरज कुमार कांग्रेस घास के बायोमास का उपयोग बायोएथेनॉल उत्पादन के लिए करेंगे। यह खरपतवार प्रबंधन के लिए रचनात्मक कदम होगा और ऊर्जा संकट की समस्याओं के साथ पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किए गए जीवाश्म ईंधन का उपयोग बढ़ेगा। इसका सबसे बढ़ा प्रभाव पर्यावरण प्रदूषण की समस्याओं का समाधान भी होगा।  

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