कुरुक्षेत्र में अब विराजेंगे भगवानी स्वामीनारायण

अक्षरधाम मंदिर का शिलान्यास 11 मई को 

कुरुक्षेत्र ।  गीता की उपदेशात्मक धरा कुरुक्षेत्र में भगवान तिरुपति बालाजी के अब बाद अब भगवान स्वामी नारायण विराजेंगे। 11 मई को बीएपीएस स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर का शिलान्यास होगा। स्वामीनारायण संस्था विश्व भर में मंदिरों के माध्यम से अध्यात्म, संस्कार और संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर रही है। धर्मनगरी में ब्रह्मसरोवर के पूर्वी तट के नजदीक अक्षरधाम मंदिर की स्थापना होगी। यह जानकारी गुरुवार को स्वामी जयतीर्थ ने दी। 

उन्होंने बताया कि शिलान्यास समारोह में अक्षरधाम संस्था के संयोजक ईश्वर चरण स्वामी, गांधीनगर अक्षरधाम के महंत आनंद स्वरूप स्वामी, वेदाचार्य विवेक सागर और गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद प्रमुख रूप से मौजूद रहेंगे। 

स्वामी जयतीर्थ ने बताया कि स्वामीनाराण संस्था के आराध्य भगवान स्वामीनाराण का जन्म अयोध्या में 237 वर्ष पहले हुआ था। 11 वर्ष की आयु में भगवान स्वामी नारायण ने घर का त्याग कर मानव कल्याण के लिए यात्रा प्रारंभ की। नीलकंठ नाम धारण करके उन्होंने सात वर्ष में 12 हजार किलोमीटर की पैदल यात्रा अकेले की और अंत में गुजरात पहुंचकर रामानंद स्वामी सी दीक्षा ग्रहण की। धर्मधुरा संभालने के बाद उन्होंने स्वामी नारायण संप्रदाय का प्रारंभ किया। भगवान स्वामी स्वामीनारायण के तीसरे अनुगामी ब्रह्मस्वरूप शास्त्री महाराज अक्षरपुरुषोत्तम उपासना का उद्घोष किया। बीपीएस संस्था की स्थापना करके भगवान स्वामीनाराण द्वारा स्थापित मार्ग को प्रशस्त किया। 

उन्होंने लगभग 17 हजार गांवों की यात्रा करके समाज के सभी तबकों को भगवान से जोड़ा। उन्होंने साढ़े सात लाख पत्र अपने जीवनकाल में लिखे। इनके माध्यम से उन्होंने अपने संपर्क में आने वाले लोगों को प्रेरणा दी। बीएपीएस संस्था ने दुनिया में लगभग 1200 मंदिरों की स्थापना की। उत्तर भारत में दिल्ली का अक्षरधाम मदिर सबसे बड़े हिंदू मंदिर परिसर के रूप में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज है। 

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