जेपी के अधूरे हाउसिंग प्रोजेक्‍ट्स पर सुप्रीम कोर्ट ने एनबीसीसी से मांगा जवाब

नई दिल्ली । जेपी समूह के फ्लैट खरीददारों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन(एनबीसीसी) को नोटिस जारी कर पूछा कि क्या वो प्रोजेक्ट पूरे करने पर कोई बेहतर योजना पेश करना चाहता है। कोर्ट ने एनबीसीसी से दो दिन में जवाब देने का निर्देश दिया।

आज सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अगर एनबीसीसी इन प्रोजेक्ट को हाथ में ले तो हम जेपी इंफ्राटेक पर बकाया सैकड़ों करोड़ के टैक्स में रियायत दे सकते हैं। जेपी समूह ने कहा कि उसे अपने समूह को पुनर्जीवित करने का एक मौका मिलना चाहिए। वह सभी बैंकों के कर्ज चुकाकर तीन वर्षों में सभी हाउसिंग प्रोजेक्ट पूरा करना चाहता है। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले वह एनबीसीसी के विकल्प पर विचार करना चाहते हैं।

पिछले 18 जुलाई को कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वो फ्लैट खरीददारों के पक्ष में जल्द फैसला लें। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने जल्द ही फ्लैट खरीददारों पर फैसला लेने की बात कही थी। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि हम फ्लैट खरीददारों के पक्ष में काम कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि चूंकि मामला एनसीएलटी में लंबित है, इसलिए एनसीएलटी में फैसला आ जाने के बाद ही हम इस मामले में निर्णय ले लेंगे।

पिछले नौ जुलाई को कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वे फ्लैट खरीदारों के हित में प्रस्ताव बनाएं। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि ऐसा प्रस्ताव लाए जिससे कि बायर्स की समस्या का समाधान हो।

जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि पैसे देने के बावजूद फ्लैट नहीं मिल रहे हैं। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि हम दिवालिया कानून के दायरे में कुछ नहीं कर सकते हैं लेकिन आप इस दायरे से बाह कुछ सुझाव लेकर आएं, हम उस पर विचार करेंगे।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट को बताया गया था कि जेपी समूह को दिवालिया प्रक्रिया की समय-सीमा खत्म होने के बावजूद उसे परिसमापन के लिए न भेजा जाए क्योंकि इससे फ्लैट खरीददारों को काफी नुकसान होगा। अगर जेपी को दिवालिया घोषित किया जाता है तो सबसे पहले बैंक अपना पैसा वापस लेंगे और फ्लैट खरीददारों को कुछ नहीं मिलेगा। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या आप इससे अलग कोई सुझाव दे सकते हैं, हम आपके सुझाव पर विचार करेंगे। नीतिगत मुद्दे केंद्र सरकार ही सुलझा सकती है।

नौ अगस्त 2018 को कोर्ट ने जेपी इंफ्रा के दिवालिया प्रक्रिया का मामला सुप्रीम कोर्ट ने वापस इलाहाबाद नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्युनल(एनसीएलटी) के पास भेज दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिवालिया प्रक्रिया नए सिरे से शुरू होगी। कोर्ट ने कहा था कि जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड दिवालिया प्रक्रिया की निविदा में शामिल नहीं होगी। कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स की बैठक में फ्लैट निवेशक यानि फ्लैट खरीददार भी शामिल हो सकेंगे। पर कंपनी की नीलामी से जो पैसे आएंगे वो पहले बैंकों को मिलेंगे।

उल्लेखनीय है कि 18 सितंबर,2017 को जेपी समूह के करीब चार सौ फ्लैट खरीददारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया और मांग की कि उपभोक्ता कानून के तहत उन्हें सुरक्षा प्रदान दी जाए। इन फ्लैट खरीददारों ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि जेपी एसोसिएट्स की संपत्ति को जेपी इंफ्राटेक को ट्रांसफर किए जाने के मामले की जांच की जाए।

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