बांध सुरक्षा विधेयक लोकसभा में पेश, विपक्ष ने किया विरोध

नई दिल्ली । लोकसभा में सोमवार को सरकार की ओर से बांधों की सुरक्षा से जुड़ा विधेयक पेश किया गया, जिसका विपक्ष ने यह कहते हुए विरोध किया कि यह राज्यों के अधिकार क्षेत्र में दखल करता है।

सोमवार को केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री ने विधेयक को सदन में पेश किया। उन्होंने विपक्ष को आश्वसन दिया कि विधेयक के माध्यम से राज्यों के अधिकारों से समझौता नहीं किया गया है। देश के 92 प्रतिशत बांध राज्यों के बीच बहने वाली नदियों पर स्थित हैं, जिसकी सुरक्षा के लिए एक समान नियम कानून होने चाहिए।

विपक्ष की ओर से विधेयक का विरोध करते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इसमें केवल ढांचागत सुरक्षा का विषय है। परिचालन सुरक्षा का विषय शामिल नहीं किया गया है। द्रमुक के डी राजा ने विधेयक को प्रवर समिति को भेजे जाने की मांग की। तृणमूल नेता सौगत राय ने कहा कि जल राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि विधेयक में हितधारक की व्याख्या स्पष्ट नहीं की गई है।

बांध सुरक्षा विधेयक- 2019 देशभर में बनाए गए बांधों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर लाया गया है। वर्तमान में पूरे देश में 5 हजार बांध हैं और 4700 निर्माणधीन हैं। सरकार का कहना है कि विधेयक के माध्यम से इनकी बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

सरकार का कहना है कि वर्तमान में बन चुके एवं निर्माणाधीन करीब 10 हजार बांधों की सुरक्षा के लिए कोई कानून नहीं था। इसके अभाव में कई हादसे भी हो चुके हैं। देश में कई बांध 100 साल और 50 साल पुराने हैं। नए विधेयक के माध्यम से बांधों की सुरक्षा जांच, उन्हें परिचालन में रखने की समीक्षा, मरम्मत एवं सुरक्षा उपायों की समीक्षा और विशेषज्ञों से जुड़े सुझाव सब करना संभव होगा। इससे पहले पिछले साल भी सरकार लोकसभा में इस विधेयक को लाई थी। विधेयक के कानून नहीं बन पाने के चलते इसे दोबारा लाया गया है।

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