भारत-वियतनाम ने दोहराई प्रशांत सागर क्षेत्र में शांति और सुरक्षा की प्रतिबद्धता

हनोई/नई दिल्ली । भारत के उप-राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और वियतनाम के उप-राष्ट्रपति एम.ई. मैडम डांग थी नोक थिन्ह ने शुक्रवार को हनोई में शिष्टमंडल स्तर की वार्ता में हिस्सा लिया। बैठक में दोनों देशों ने प्रशांत सागर क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता दोहराई।

हनोई में राष्ट्रपति भवन में आयोजित प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद दोनों देशों के उपराष्ट्रपतियों ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। इसमें दोनों देशों ने सहयोग के सभी पहलुओं जैसे रक्षा और सुरक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, तेल और गैस क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने पर सहमति जताई। भारत और वियतनाम और अधिक सामरिक भागीदारी को बढ़ाने की दिशा में प्रतिबद्ध हैं।

नायडू ने कहा कि वियतनाम एक मित्र और भरोसेमंद देश है तथा एक्ट ईस्टी पॉलिसी का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। उन्होंने कहा कि हमने द्वीपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। हमने रक्षा, सुरक्षा, समान ऊर्जा के शांतिपूर्वक इस्तेमाल, अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी, तेल और गैस, नवीकरणीय ऊर्जा, बुनियादी ढांचागत विकास, कृषि, नवाचार जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।

वेंकैया ने कहा कि बौद्ध धर्म दोनों देशों को एकजुट करने वाला एक मजबूत बंधन रहा है। शांति और करुणा के भगवान बुद्ध के संदेश के साथ दो सहस्राब्दी पहले भारतीय इस देश के तटों पर आए थे। चंपा सभ्यता के अवशेष लोगों, वस्तुओं, विचारों और दर्शन के आदान-प्रदान की ओर इशारा करते हैं। उन्होंन कहा कि वियतनाम और भारत दक्षिण सहयोग के स्तंभ थे और दोनों राष्ट्रों के बीच मजबूत संबंध न केवल हमारे लोगों के कल्याण के लिए बल्कि क्षेत्रीय शांति और वैश्विक स्थिरता बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण थे।

वहीं वियतनाम के उपराष्ट्रपति ने कहा कि उनका देश दक्षिणी चीन सागर और एक्ट ईस्ट पॉलिसी के बारे में भारत के रुख का समर्थन करता है। इससे पहले उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने हनोई में आशियान देशों के राष्ट्रीय वीरों और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

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