मनरेगा ऑपरेटर अपने रिश्तेदारों को ही फर्जी सप्लायर बनाकर कर रहे लाखों का भुगतान
कोरबा । जनपद पंचायत में मनरेगा अंतर्गत कुछ डाटा एंट्री ऑपरेटर द्वारा अपने रिश्तेदारों को ही सप्लायर बनाकर लाखों का भुगतान अधिकारियों-कर्मचारियों की मिली भगत से करने का मामला सामने आया है। विभाग में रजिस्टर्ड कई ऐसे सप्लायर हैं जिनकी न तो दुकान का अता-पता है और न ही फर्म का। महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना में डाटा एंट्री करने वाले कुछ कंप्यूटर ऑपरेटर अपनी रिश्तेदारों को ही फर्जी सप्लायर बनाकर उनके जीएसटी बिल में लाखों रूपए का मटेरियल भुगतान धड़ल्ले से कर रहे हैं। इन सप्लायरों की दुकान का अता पता नही हैं। सरपंच-सचिव के माध्यम से पंचायतों के किए निर्माण कार्यों का बिल हटाकर ऑपरेटरो द्वारा अपनी परिचित या रिश्तेदार के नाम से बिल लगा दिया जाता हैं। इधर सरपंच-सचिव भुगतान का पता करने आते है तो उन्हें दूसरा कारण बताकर घुमाया जाता है। मनरेगा में कई ऐसे रजिस्टर्ड सप्लायर हैं जो राशन कार्डधारी है और वे सरकार के द्वारा कम दर पर मिलने वाले राशन को भी हर महीने ले रहे हैं वहीं दूसरी ओर मटेरियल सप्लाई के नाम पर लाखों रूपए का भुगतान ले रहे हैं।रोज़गार सहायक के पास भी जीएसटी नंबर:विभागीय सूत्रों का दावा है कि मनरेगा अन्तर्गत जनपद पंचायत कोरबा में पदस्थ तकनीकी सहायक श्रीमती तिवारी ने अपने नाम से ही जीएसटी नंबर ले रखा है। उसके खाते में लाखों रूपए का मटेरियल भुगतान किया जा रहा हैं। नियमानुसार शासकीय व संविदा कर्मचारी अपने नाम से जीएसटी नंबर नहीं ले सकते। इसी तरह जनपद पंचायत पोड़ी उपरोड़ा में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा अनुविभाग के अनुविभागीय अधिकारी श्री तंवर भी पद का दुरुपयोग करते हुए अपने पुत्र के नाम फार्म रजिस्ट्रेशन करा कर मनरेगा का मटेरियल सप्लाई कर रहा है ।वर्सन इस संबंध में मनरेगा के सहायक परियोजना अधिकारी संदीप डिक्सेना ने कहा कि मनरेगा के कार्यो में किस फार्म को कितना भुगतान हो रहा है इसकी जानकारी नहीं है और न ही इस बारे में किसी की शिकायत मिली है । इस पूरे मामले की जांच कराई जाएगी .