मोदी-शाह के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन के मामले में याचिका पर सुनवाई से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता सुष्मिता देव से कहा, आपकी शिकायतों पर निर्वाचन आयोग ने दिया है फैसला

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन के मामले में याचिकाकर्ता और कांग्रेस नेता सुष्मिता देव की याचिका पर आगे सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि आपकी शिकायतों पर निर्वाचन आयोग ने फैसला कर दिया है। इसलिए अब इस याचिका पर आगे सुनवाई का कोई मतलब नहीं है। आपने 11 शिकायतों पर कार्रवाई के लिए याचिका दायर की थी और आयोग ने उन पर फैसला दे दिया है। हम आयोग के फैसलों के मेरिट पर नहीं जा रहे हैं।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि अगर आप चाहते हैं कि मोदी और शाह को मिले सभी क्लीनचिट को अलग से चुनौती दी जाए तो उसके लिए अलग से याचिका दायर कर सकते हैं।

पिछले सात मई को याचिकाकर्ता सुष्मिता देव ने सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दायर किया था। हलफनामे में कहा गया था कि चुनाव आयोग ने दूसरों पर पाबंदी लगाई लेकिन नरेन्द्र मोदी और अमित शाह को क्लीनचिट दी। आयोग का यह रवैया भेदभावपूर्ण है। हलफनामे में दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर मोदी के बयान की भी जानकारी दी गई थी। हलफनामे में बताया गया था कि इस बयान की शिकायत भी आयोग से की गई है। हलफनामे में कहा गया था कि निर्वाचन आयोग ने ऐसे ही बयानों के लिए प्रज्ञा ठाकुर, मेनका गांधी, योगी आदित्यनाथ, मायावती और दूसरे नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की है लेकिन उसने मोदी और अमित शाह के बयानों पर कोई कार्रवाई नहीं की। हलफनामे में कहा गया था कि मोदी और अमित शाह के बयान जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा-124ए का उल्लंघन है। इसलिए दोनों नेता भारतीय दंड संहिता की धारा-153ए के तहत सजा के हकदार हैं।

हलफनामे में यह भी कहा गया था कि मोदी और शाह को क्लीनचिट देते समय निर्वाचन आयोग के एक आयुक्त ने असहमति जाहिर की थी लेकिन उनकी राय को आदेश में शामिल नहीं किया गया। इससे साफ जाहिर होता है कि आयोग ने मनमाने तरीके से फैसला किया है।

पिछले छह मई को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि चुनाव आयोग ने शिकायतों को बिना कारण बताए खारिज किया है। ऐसे ही मामलों में दूसरों को दंडित किया गया है। 

सुनवाई के दौरान सिंघवी ने कहा था कि आयोग के छह में से पांच मामलों में अलग मत व्यक्त किया गया है। कोर्ट को शिकायतों के संदर्भ में एक दिशा-निर्देश जारी करना चाहिए ताकि भविष्य में भी काम आ सके। तब कोर्ट ने कहा था कि आप आयोग के आदेश की प्रति कोर्ट में पेश कीजिए।

पिछले दो मई को कोर्ट ने आचार संहिता उल्लंघन की शिकायतों पर निपटारा करने का निर्देश दिया था। सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग ने कहा था कि किसी नेता के बयान में से चार लाइन लेकर शिकायत कर दी जाती है। निर्वाचन आयोग को पूरे भाषण की प्रतिलिपि (ट्रांसक्रिप्ट) देखकर फैसला करना पड़ता है।

पिछले 30 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने सुष्मिता देव की याचिका पर निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया था। जिस पर बाद में निर्वाचन आयोग ने कहा कि शिकायतों पर हम विचार कर रहे हैं।

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