वैदिक चिकित्सा पद्धति है मर्म विज्ञानः भंडारी
हरिद्वार। अन्तर्राष्ट्रीय मर्म विज्ञान एवं मर्म चिकित्सा प्रशिक्षण कार्यशाला का वैदिक आर्युविज्ञान प्रतिष्ठान संस्थान नंदीपुरम् नोरंगाबाद के तत्वाधान में शुक्रवार को शुभारम्भ हुआ।
पोलैण्ड में भारत के पूर्व राजदूत सीएम भंडारी, स्वामी मुदितानंद, उत्तराखंड संस्कृत एकेडमी के उपाध्यक्ष डॉ प्रेम चंद शास्त्री ने संयुक्त रूप से पांच दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ किया। अपने सम्बोधन में पूर्व राजदूत सीएम भंडारी ने कहा कि वैदिक चिकित्सा पद्धति का अंग है मर्म विज्ञान और मर्म चिकित्सा, जो प्राचीन ऋषि मुनियों की देन है। उन्होंने कहा कि भारत में विलुप्त होती जा रही मर्म चिकित्सा पद्धति को पुर्नजीवित करने का कार्य मृत्युंजय मिशन एवं वैदिक आर्युविज्ञान प्रतिष्ठान कर रहा है।
गुजरात से आये स्वामी मुदितानंद ने डॉ सुनील जोशी और उनके मृत्युंजय मिशन को आर्शीवाद देते हुए कहा कि मानव मात्र को आरोग्यता प्रदान करने के लिए मर्म चिकित्सा महत्तवपूर्ण योगदान दे रही है, इसको सुनील जोशी देश विदेश में प्रतिष्ठित करवा रहे हैं। उत्तराखंड संस्कृत एकेडमी के उपाध्यक्ष प्रेमचंद शास्त्री ने मर्म चिकित्सा का आर्युवैदिक पक्ष रखते हुए कहा कि मर्म चिकित्सा विज्ञान आर्युविज्ञान का अंग है।
पांच दिवसीय कार्यशाला में आये हुए देश विदेश के प्रशिक्षणार्थीयों का स्वागत करते हुए कार्यशाला के आयेाजक सुनील जोशी ने कहा कि वर्ष में दो बार हरिद्वार में ही होने वाली कार्यशालाओं में देश विदेश से आने वाले जिज्ञासुओं की संख्या मर्म चिकित्सा की बढ़ती लोकप्रियता को सिद्ध कर रही है, कार्यशाला के संयोजक कनेडा से आये हुए ज्ञान प्रकाश एवं रंजना प्रकाश ने कार्यशाला की आवश्यकता इसकी उपयोगिता तथा पांच दिन तक चलने वाली गतिविधियों की जानकारी प्रशिक्षणार्थीयों को प्रदान की। कार्यशाला के प्रथम दिवस उद्घाटन सत्र में पहुंचे अतिथियों का स्वागत प्रांजन जोशी, मयंक जोशी, योगेश पांडे, शत्रुघ्न डबराल, विवेक चौधरी, विपिन चौधरी आदि ने किया।