एनजीटी ने राजस्थान के जोजरी नदी को प्रदूषित करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए टास्क फोर्स का किया गठन
नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल(एनजीटी) ने राजस्थान के जोजरी नदी और उसके आसपास के नाले और खुली जगह पर औद्योगिक कचरा डालने पर रोक लगाने और उस पर चौबीसो घंटे निगरानी रखने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स के गठन का आदेश दिया है। जस्टिस एस. रघुवेंद्र राठौर की अध्यक्षता वाली बेंच ने राजस्थान के डीजीपी को निर्देश दिया कि वो टास्क फोर्स का गठन करें, जो तीन पालियों में चौबीसों घंटे काम करें।
एनजीटी ने कहा कि इस टास्क फोर्स का नेतृत्व एएसपी से नीचे के रैंक का पुलिस अधिकारी नहीं करेगा। टास्क फोर्स में चार सब-इंस्पेक्टर, तीन हेड कॉन्स्टेबल और 21 कॉन्स्टेबल होंगे। इस टास्क फोर्स में दो वाहन और छह ड्राइवर होंगे। एनजीटी ने कहा कि टास्क फोर्स जोजरी नदी, नाले, जलधाराएं, खुले स्थान, सार्वजनिक स्थान में औद्योगिक कचरों के डालने की निगरानी करेगा। ये टास्क फोर्स गैरकानूनी तरीके से औद्योगिक कचरा डालने वालों पर कार्रवाई करेगा। अगर कोई वाहन औद्योगिक कचरा डालते पकड़ा जाएगा तो उसे तत्काल सीज कर लिया जाएगा। ऐसे सीज वाहनों को एनजीटी के आदेश के बिना छोड़ा नहीं जाएगा।
एनजीटी ने कहा कि आम जनता भी औद्योगिक कचरों के डालने की शिकायत मोबाइल से रिकॉर्ड कर भेज सकती है। उन शिकायतों पर टास्क फोर्स कार्रवाई करेगा। टास्क फोर्स इस बात की भी निगरानी करेगा कि कोई उद्योग उस स्थान पर तो स्थापित नहीं किया जा रहा है, जिसकी पहचान औद्योगिक इलाके के रूप में नहीं की गई है। अगर ऐसा कोई उद्योग पाया जाता है तो उसे तुरंत सील किया जाएगा। ऐसे उद्योग की सील एनजीटी के आदेश पर ही तोड़ी जाएगी।
एनजीटी ने टास्क फोर्स को निर्देश दिया कि वो स्थानीय अखबार के लिए विज्ञप्ति भी जारी करें ताकि लोगों को टास्क फोर्स के काम का पता चल सके। एनजीटी ने कहा कि टास्क फोर्स की स्थापना और उसके दफ्तर का खर्च राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड वहन करेगा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कानून का उल्लंघन करने वालों से वसूले गए जुर्माने की रकम से टास्क फोर्स का खर्च वहन करने के लिए स्वतंत्र है। एनजीटी ने टास्क फोर्स को अपनी दैनिक रिपोर्ट राजस्थान के एडीजी, ट्रैफिक को देने का निर्देश दिया। एडीजी, ट्रैफिक हर महीने अपनी रिपोर्ट एनजीटी को सौंपेगा। मामले की अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी।
इससे पहले 30 जनवरी,2018 को एनजीटी ने जोजरी नदी में प्रदूषण नियंत्रित नहीं कर पाने पर राजस्थान सरकार पर दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। बाड़मेर जिले के अरबा ग्राम पंचायत द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि कुछ साल पहले तक जोजरी नदी में काफी पानी था लेकिन फिर जोधपुर के उद्योगों का प्रदूषित पानी आने से ये गंदे नाले में तब्दील हो गया। इस नदी का पानी ही अरबा ग्राम पंचायत के लोग इस्तेमाल करते हैं। जोधपुर शहर के सीवेज का पानी और प्रदूषित रसायन मिश्रित जल भी नदी में आकर मिलता है। एनजीटी ने कहा कि हम राज्य सरकार के कोरे वादे से तंग आ गए हैं। इसलिए हमारे पास जुर्माना लगाने के सिवाय कोई चारा नहीं है।