श्रीअमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा के कड़े प्रबंध, परिंदा भी नहीं मार सकेगा पर
-राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने प्रथम पूजा करके यात्रा का किया शुभारंभ -रक्षाबंधन वाले दिन छड़ी मुबारक के पहुंचने पर होगा यात्रा का समापन
जम्मू। जम्मू के भगवती नगर आधार शिविर से सोमवार को कड़ी सुरक्षा के बीच श्रीअमरनाथ यात्रा के लिए 4417 यात्रियों का दूसरा जत्था बालटाल व पहलगाम के लिए रवाना हुआ। 142 छोटे-बड़े वाहनों में सवार 2800 श्रद्धालु पहलगाम मार्ग के लिए निकले जिसमें 2321 पुरुष, 463 महिलाएं तथा 16 बच्चे शामिल हैं। बालटाल आधार शिविर के लिए 1617 श्रद्धालु रवाना हुए जिनमें 1222 पुरुष, 380 महिलाएं और 15 बच्चे शामिल हैं। जत्थे के साथ सीआरपीएफ और पुलिस की सुरक्षा टीमें भी रवाना हुई हैं।स्वास्थ्य विभाग की एम्बुलेंस भी यात्रा के साथ है। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सोमवार को प्रथम पूजा करके इस यात्रा का शुभारंभ कर दिया है। श्रीअमरनाथ यात्रा एक जुलाई से लेकर 15 अगस्त तक चलेगी। रक्षाबंधन वाले दिन छड़ी मुबारक के वहां पहुंचने के साथ ही इस यात्रा का समापन हो जायेगा।
तीर्थयात्रा की सुरक्षा के कड़े प्रबंधसमुद्र तल से करीब 3888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित श्रीअमरनाथ की पवित्र गुफा और तीर्थयात्रा की इस बार ऐसी घेराबंदी की गई है कि परिंदा भी पर नहीं मार सकेगा। जिहादी और अराजक तत्वों को दूर-दूर तक फटकने नहीं दिया जाएगा। रविवार को जम्मू से रवाना हुए जत्थे में 2234 श्रद्धालु शामिल थे जो सोमवार को बालटाल व पहलगाम आधार शिविरों से पवित्र हिमशिवलिंग के दर्शनों के लिए रवाना हो गए। अमरनाथ यात्रा को देखते हुए इस बार प्रशासन ने लखनपुर से लेकर अमरनाथ तक सुरक्षा व्यवस्था के कड़े प्रबंध किए हैं। जम्मू हाई-वे से लेकर अमरनाथ यात्रा मार्ग के चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है। हेलीकॉप्टर, सीसीटीवी, आरआईएफ टैग और बार कोड श्रद्धालुओं व उनके वाहनों की निगरानी करेंगे। ड्रोन व खोजी कुत्तों के अलावा अत्याधुनिक उपकरणों व हथियारों से लैस लगभग 40 हजार सुरक्षाकर्मी उनकी सुरक्षा में तैनात हैं।
राज्यपाल सत्य पाल मलिक के सलाहकार केके शर्मा ने पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाकर रवाना करते समय देश भर के श्रद्धालुओं को आश्वासन दिया है कि उनकी सुविधा और सुरक्षा के लिए पर्याप्त प्रबंध किए गए हैं और वह भय मुक्त होकर इस यात्रा पर आ सकते हैं। राज्य प्रशासन उनकी हर तरह से रक्षा, सुरक्षा व सुविधा का ध्यान रखेगा। आतंकी हमले की आशंका के सवाल पर उन्होंने कहा कि श्रीअमरनाथ यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए हर प्रकार के प्रबंध किए गए हैं। इस अवसर पर उनके साथ जम्मू के मेयर चंद्र मोहन गुप्ता, डिवीजनल कमिश्नर जम्मू संजीव वर्मा, पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। केंद्रीय गृहमंत्री ने दिए आतंकियों के खिलाफ और सख्ती के आदेश केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 26-27 जून को राज्य के अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान श्रीनगर के एकीकृत मुख्यालय में राज्य की समग्र सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की थी। इस दौरान उन्होंने कश्मीर में शांति बहाली और आतंकवाद विरोधी अभियानों पर विशेष जोर देने के साथ ही राज्य की समग्र सुरक्षा स्थिति का जायजा लिया था। इस मौके पर उनके साथ राज्यपाल सत्य पाल मलिक, सलाहकार के विजय कुमार, मुख्य सचिव बीवी आर सुब्रह्मण्यम, उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह, डीजीपी दिलबाग सिंह, विभिन्न खुफिया एजेंसियों के प्रमुख व अर्धसैनिक बलों के प्रमुख भी मौजूद थे। अमित शाह ने इस दौरान श्रीअमरनाथ यात्रा के लिए की गई सुरक्षा व्यवस्था व सुविधाओं की भी समीक्षा करके आतंकियों व अराजक तत्वों के खिलाफ और सख्ती से पेश आने की बात कही थी। इस साल सुरक्षाबलों ने अब तक 136 आतंकियों को मार गिराया है और माना जा रहा है कि अतिम शाह के दौरे के बाद सुरक्षाबल आतंकियों के खिलाफ अपने अभियान को और तेजी देंगे।
कठिन तीर्थ यात्राओं में एक है श्री अमरनाथ यात्राअमरनाथ यात्रा पूरे देश में सबसे लंबी अवधि तक चलने वाली कठिन तीर्थ यात्राओं में एक है। सिर्फ मौसम और यात्रा मार्ग की भौगोलिक परिस्थितियां ही इसे मुश्किल नहीं बनाती बल्कि आतंकी हमले की आशंका इसे और चुनौतीपूर्ण बनाती हैं। अमर नाथ यात्रा पर जाने के भी दो रास्ते हैं। एक पहलगाम होकर और दूसरा सोनमर्ग बलटाल से। यानी कि पहलमान और बलटाल तक किसी भी सवारी से पहुंचे, यहां से आगे पैदल ही जाना पड़ता है। अशक्त या वृद्धों के लिए सवारियों का प्रबंध किया जा सकता है। पहलगाम से जानेवाले रास्ते को सरल और सुविधाजनक समझा जाता है। बलटाल से अमरनाथ गुफा की दूरी केवल 14 किलोमीटर है और यह बहुत ही दुर्गम रास्ता है और सुरक्षा की दृष्टि से भी संदिग्ध है लेकिन रोमांच और जोखिम लेने का शौक रखने वाले लोग इस मार्ग से यात्रा करना पसंद करते हैं।
पहले भी आतंकियों के निशाने पर रही है श्री अमरनाथ यात्रा यात्रियों को नुनवन, पहलगाम और शेषनाग के पास कई बार आतंकी निशाना बना चुके हैं। श्रद्धालुओं के वाहनों पर बालटाल, कंगन, गांदरबल, अनंतनाग और बिजबेहाड़ा में ग्रेनेड हमले भी हो चुके हैं। 10 जुलाई 2017 को लश्कर के आतंकियों ने दर्शन कर लौट रहे श्रद्धालुओं की बस को दक्षिण कश्मीर में श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर निशाना बनाया था, इसमें आठ श्रद्धालुओं की मौत हुई थी। कश्मीर से 1988-89 में कश्मीरी हिन्दुओं को भगाने के बाद पाकिस्तान की शह पर हमेशा आतंकियों के निशाने पर श्रीअमरनाथ यात्रा रही है। 1990 के बाद से आतंकवादियों ने श्री अमरनाथ यात्रियों को निशाना बनाना शुरू किया। वर्ष 1993 में दो हमलों में तीन लोग मारे गए। 1994 में एक हमले में दो यात्रियों की मौत हुई। 1995 में तीन हमले हुए लेकिन जानी नुकसान नहीं हुआ। 1996 में आतंकियों ने हमले किए परन्तु कोई क्षति नहीं हुई। वर्ष 2000 में आतंकियों ने पहलगाम के करीब आरू नामक स्थान पर हमले किए जिसमें 32 श्रद्धालुओं सहित 35 लोग मारे गए और 60 लोग घायल हो गए। 2001 में शेषनाग में आतंकी हमले में तीन पुलिस अधिकारियों सहित 12 श्रद्धालु मारे गए। 2002 में श्री अमरनाथ यात्रा पर दो आतंकी हमले हुए जिसमें 9 श्रद्धालु मारे गए व 29 गंभीर रूप से घायल हुए। 2003 में आतंकियों ने श्रीअमरनाथ यात्रा में शामिल होने वालों को सीधे निशाना तो नहीं बनाया लेकिन यात्रा के दौरान ही कटड़ा में वैष्णोदेवी के आधार शिविर पर हमला कर 8 श्रद्धालुओं को मार डाला और सेना के एक ब्रिगेडियर को भी मार डाला।
वर्ष 2000 के बाद से अब तक बाबा अमरनाथ यात्रा पर तीन बड़े आतंकी हमले हो चुके हैं। इनमें पचास के करीब लोगों की मौत हुई थी। वर्ष 1995 में हरकत उल मुजाहिद्दीन ने चेतावनी जारी की थी कि कोई भी मुस्लिम अमरनाथ यात्रा में सहयोग न दे। यात्रा पर मुख्य हमला एक अगस्त 2000 को पहलगाम आधार शिविर पर हुआ। आतंकियों ने हमला कर 32 लोगों की जान ले ली थी। इस हमले में 60 लोग घायल हो गए थे। हमले के चंद घंटों बाद आतंकियों ने कश्मीर में दो और हमले कर बाहरी राज्यों की 27 श्रमिकों व जम्मू संभाग के डोडा के दूरदराज इलाके में 11 हिन्दुओं की हत्या कर दी थी। आतंकवादियों ने यही रणनीति जुलाई 2001 में भी अपनाई थी। आतंकियों ने 21 जुलाई को यात्रा मार्ग पर शेषनाग कैंप में हमला कर 12 लोगों की जान ले ली थी। अगले दिन आतंकियों ने जम्मू संभाग के किश्तवाड़ जिले में हमला कर पंद्रह हिन्दुओं की हत्या कर दी थी और पांच का अपहरण कर लिया था। 6 अगस्त 2002 को आतंकियों ने यात्रा के नुनवान कैंप को निशाना बनाते हुए नौ यात्रियों की हत्या कर दी थी। जबकि 29 घायल हो गए थे। इस हमले की जिम्मेवारी अल मंसूर नामक आतंकी संगठन ने ली थी। इस बार यात्रा को निशाना बनाने की नहीं मिली धमकीहालांकि इस बार किसी भी आतंकी संगठन ने यात्रा को निशाना बनाने की धमकी नहीं दी है लेकिन खुफिया एजेंसियों ने सुरक्षाबलों को अलर्ट जारी कर रखा है। आतंकियों को यात्रा मार्ग से पूरी तरह दूर रखने और श्रद्धालुओं को शांत, सुरक्षित और विश्वासपूर्ण माहौल प्रदान करने के लिए सेना, पुलिस, सीआरपीएफ, बीएसएफ, एसएसबी सहित सभी सुरक्षा एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं। महानिदेशक सीआरपीएफ आरआर भटनागर के अनुसार करीब 40 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। इनमें सेना, पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेंसियां शामिल हैं। करीब 32 हजार जवान व अधिकारी सिर्फ सुरक्षा बंदोबस्त में रहेंगे। शेष अन्य जिम्मेदारी संभालेंगे। श्रद्धालुओं के काफिले, आधार शिविरों की सुरक्षा और आरओपी की जिम्मेदारी लखनपुर से लेकर अनंतनाग और अनंतनाग-श्रीनगर-बालटाल तक सीआरपीएफ निभाएगी। पहलगाम और बालटाल से आगे आरओपी की जिम्मेदारी सेना और बीएसएफ की रहेगी। श्रद्धालुओं के वाहनों को सुरक्षा कवच व एस्कार्ट की सुविधा सीआरपीएफ की रहेगी। श्रीनगर स्थित सेना की 15वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लन ने बताया कि सेना ने यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए यात्रा मार्ग के आसपास के इलाकों में विशेष अभियान चला रखा है। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सेना के विशेष दस्ते तैनात हैं।
श्रद्धालुओं के वाहनों पर रहेगी नजरसीआरपीएफ के आईजी रविदीप साही ने बताया कि सभी श्रद्धालुओं के वाहनों पर रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटीफिकेशन टैग लगाए जाएंगे। इसके जरिए पुलिस, सीआरपीएफ व सेना के संयुक्त नियंत्रण कक्ष में बैठे अधिकारी व जवान किसी भी वाहन की स्थिति का पता लगा सकते हैं। श्रद्धालुओं को यात्रा की बार कोड पर्ची मिलेगी और तय रूट पर ही वह यात्रा कर सकेंगे। सभी मार्गों पर श्रद्धालुओं की आवाजाही और आतंकियों का पता लगाने के लिए ड्रोन इस्तेमाल किए जाएंगे। आधार शिविरों में विस्फोटकों का पता लगाने वाले सेंसर भी रहेंगे। आईजीपी जम्मू रेंज एमके सिन्हा ने कहा कि पूरे यात्रा मार्ग को संवेदनशीलता के आधार पर अलग अलग जोन और सेक्टर में बांटा गया है। प्रत्येक आधार शिविर में एसपी रैंक का अधिकारी तैनात है। जत्था गुजरने के दौरान संपर्क मार्गों से हाई-वे पर किसी भी वाहन को आने नहीं दिया जाएगा।
श्रद्धालुओं में दिख रहा है भारी उत्साहश्री अमरनाथ यात्रा के लिए देश-विदेश से जम्मू पहुंच रहे श्रद्धालुओं में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है। आतंकियों के हमले से बेखौफ श्रद्धालु भगवान भोले नाथ के रंग में पूरी तरह रंग चुके हैं। जम्मू के आधार शिविर भगवती नगर सहित शहर के विभिन्न धार्मिक स्थलों में इनके रहने-ठहरने व भोजन की व्यवस्था की गई है। पूरा शहर शिवमयी हुआ दिख रहा है। लखनपुर से लेकर श्रीअमरनाथ गुफा तक लंगर सज चुके हैं और स्थानीय लोग भी इनकी सुख सविधा का पूरा ध्यान रख रहे हैं। जम्मू के मेयर चन्द्र मोहन ने सभी श्रद्धालुओं का स्वागत करते हुए कहा कि वे बेखौफ होकर यात्रा पर आयें। उनकी सुविधाओं का हर संभव ख्याल रखा जायेगा। उन्हें किसी से डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि उनकी सुरक्षा के लिए कड़े प्रबंध किए गए हैं। भाजपा व कांग्रेस के नेताओं ने भी सभी श्रद्धालुओं का स्वागत करते हुए देश भर के श्रद्धालुओं से बैखौफ होकर यात्रा पर आने का आह्वान किया है।